WTO द्वारा पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH) और MSP जैसे मुद्दों की उपेक्षा

WTO द्वारा पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH) और MSP जैसे मुद्दों की उपेक्षा

हाल ही में भारत ने WTO में पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH), और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे मुद्दों की उपेक्षा किये जाने के खिलाफ आपत्ति प्रकट की है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) जून माह में आयोजित होगा। इस आयोजन से ठीक पहले कनाडा, न्यूजीलैंड और पराग्वे ने पब्लिक स्टॉक होल्डिंग कार्यक्रमों के मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए G-33 और भारत के आग्रह पर चिंता प्रकट की है।

पब्लिक स्टॉक होल्डिंग कार्यक्रमों का उपयोग जरूरतमंद लोगों के बीच खाद्यान्न वितरित करने हेतु अनाज खरीदने और भंडारित करने के लिए किया जाता है।

विश्व व्यापार संगठन के अलग-अलग बॉक्स के तहत पब्लिक स्टॉक होल्डिंग समर्थन अवसंरचना प्रदान की  जाती है।

हालांकि, व्यापार को विकृत करने वाले घरेलू समर्थन, डी-मिनिमिस सीमा के अधीन है। डी मिनिमिस घरेलू समर्थन की वह न्यूनतम राशि है, जिसकी अनुमति व्यापार को विकृत करने के बावजूद दी जाती है। विकासशील देशों के लिए यह 10% और विकसित देशों के लिए 5% है।

वर्तमान में, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित पब्लिक स्टीक होल्डिंग सब्सिडी को व्यापार विकृत करने वाली सब्सिडी के रूप में माना जाता है।

खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के पूरी तरह से कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप विश्व व्यापार संगठन की सीमा का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए, भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना करने के लिए फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है।

अंतरिम उपाय के रूप में, बाली मंत्रिस्तरीय बैठक (वर्ष 2013) में विश्व व्यापार संगठन के सदस्य ‘शांति उपबंध (पीस क्लॉज़)’ को लागू करने पर सहमत हुए थे।

यह किसी विकासशील देश के खाद्य खरीद कार्यक्रमों को विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की कार्रवाई से बचाता है, यदि सब्सिडी की सीमा का उल्लंघन होता है।

G33 (कृषि में विशेष उत्पादों के उत्पादक मित्र राष्ट्र):

  • यह भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित 47 विकासशील तथा अल्पविकसित देशों का एक समूह है।
  • इसका गठन विश्व व्यापार संगठन के कानकुन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दौरान किया गया था। इसका गठन कृषि व्यापार समझौतों में विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था।

पब्लिक स्टॉक होल्डिंग समर्थन अवसंरचना के लिए WTO के बॉक्स-

ग्रीन बॉक्स

  • इन उपायों को कटौती प्रतिबद्धताओं से छूट दी गई है। वास्तव में, इसे विश्व व्यापार संगठन के तहत बिना किसी वित्तीय सीमा के भी बढ़ाया जा सकता है।
  • यह विकसित और विकासशील, दोनों तरह के सदस्य देशों पर लागू होता है। लेकिन विकासशील देशों के मामले में, खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सरकारी अंशधारिता कार्यक्रमों तथा शहरी एवं ग्रामीण गरीबों के लिए सब्सिडीकृत खाद्य कीमतों के संबंध में विशेष व्यवहार प्रदान किया जाता है।
  • (भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली –PDS, ग्रीन बॉक्स के अंतर्गत नहीं आती है)

एम्बर बॉक्स

  • वे सभी घरेलू समर्थन उपाय (कुछ अपवादों के साथ) जिन्हें उत्पादन और व्यापार को विकृत करने वाला माना जाता है, एम्बर बॉक्स में आते हैं।
  • उदाहरण के लिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP); खरीद मूल्य तथा उर्वरक, जल, ऋण, बिजली आदि जैसे इनपुट पर सब्सिडी का कुल योग।

ब्लू बॉक्स

  • इसमें वास्तव में एम्बर बॉक्स सब्सिडियां हैं। लेकिन, ये उत्पादन को सीमित करती हैं। ऐसा कोई भी समर्थन जो आम तौर पर एम्बर बॉक्स में होता है, उसे ब्लू बॉक्स में रखा जाएगा, यदि ऐसा समर्थन किसानों को अपने उत्पादन को सीमित करने के लिए बाध्य करता हो।
  • इन उपायों को भी कटौती प्रतिबद्धताओं से छूट प्राप्त है।

विशेष और विभेदक व्यवहार बॉक्स (SDT)

इसमें ट्रैक्टर और पंप सेट जैसी निवेश सब्सिडी, किसानों को उर्वरक जैसी कृषि इनपुट सेवाएं आदि शामिल हैं। ऐसी सब्सिडी केवल विकासशील और निम्न आय वाले देशों द्वारा दी जा सकती है।

स्रोत –द हिन्दू

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