भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया ने ई–कॉमर्स, निवेश पर WTO में वार्ता
हाल ही में भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया ने ई-कॉमर्स, निवेश तथा MSMEs के मुद्दों पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में जारी वार्ता का विरोध किया है
भारत, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया ने संयुक्त रूप से विश्व व्यापार संगठन में ई-कॉमर्स, निवेश सुविधा आदि मुद्दों पर बहुपक्षीय वार्ता का विरोध किया है।
इस बहुपक्षीय वार्ता को संयुक्त वक्तव्य पहल (Joint Statement Initiative: JSI) भी कहा जा रहा है। इस वार्ता के समर्थक WTO के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (इस साल जून में संभावित) में किसी ठोस परिणाम की आशा व्यक्त कर रहे हैं।
JSI को WTO के सदस्यों के एक समूह द्वारा शुरू किया गया है। इसे एक बहुपक्षीय वार्ता उपकरण के रूप में परिभाषित किया गया है। ज्ञातव्य है कि WTO में सभी प्रमुख निर्णय मोटे तौर पर सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।
हालांकि, JSI के तहत निर्णय लेने के लिए सर्वसम्मति के नियमों का पालन किए बिना बहुपक्षीय वार्ता पर बल दिया गया है।
भारत ने JSI वार्ताओं का हिस्सा बनने से मना कर दिया है। भारत का मानना है कि सदस्यों को पहले खाद्य सब्सिडी से जुड़े मुद्दे का स्थायी समाधान निकलना चाहिए। भारत ने यह भी कहा है कि WTO के सदस्यों को केवल इसके दायरे में रहकर ही मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
WTO के सभी सदस्यों को इस बहुपक्षीय संस्था के मूलभूत नियमों का पालन करने की आवश्यकता है, जैसा कि मारकेश समझौते में निहित है।
मारकेश समझौते ने टोक्यो दौर के बाद बहुपक्षीय नियमों के टूटने पर चिंताओं को उजागर किया है। यह समझौता एक एकीकृत, अधिक व्यवहार्य और टिकाऊ बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली विकसित करने के पक्ष में था।
मारकेश समझौते के बाद विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1 जनवरी, 1995 को की गई थी।
वर्ष 1979 में जनरल अग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड (GATI) की टोक्यो दौर की वार्ता ने बहुपक्षीय संहिताओं को जन्म दिया था।
स्रोत –द हिंदू