‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’, 2022
हाल ही में, ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ द्वारा ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’, 2022 प्रकाशित किया गया है। यह अब तक का 20 वां संस्करण है ।
यह सूचकांक को 3 मई अर्थात ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ के अवसर पर जारी किया गया था ।
इस रिपोर्ट में,‘मीडिया ध्रुवीकरण’ (Media Polarisation) में दो गुना वृद्धि होने की ओर इशारा किया गया है।
विदित हो कि ‘मीडिया ध्रुवीकरण’ से देशों के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच विभाजन पैदा होता है ।
‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ के बारे में:
- वर्ष 2002 से प्रतिवर्ष, ‘रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर’ (Reporters Sans Frontiers’ – RSF) या ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders) द्वारा ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ का प्रकाशन किया जाता है।
- पेरिस स्थित, ‘रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर’ (RSF) एक स्वतंत्र गैर सरकारी संगठन है, और इसे संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद और अंतर्राष्ट्रीय फ्रैंकोफोनी संगठन (International Organization of the Francophonie – OIF) में सलाहकार का दर्जा प्राप्त है।
- यह सूचकांक, पत्रकारों के लिए उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के अनुसार देशों और क्षेत्रों को रैंक प्रदान करता है। हालांकि, यह ‘पत्रकारिता की गुणवत्ता’ का संकेतक नहीं होता है।
- प्रत्येक देश या क्षेत्र के अंकों का आंकलन, पांच प्रासंगिक संकेतकों – राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढांचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और सुरक्षा का उपयोग करके किया जाता है।
सूचकांक में भारत तथा अन्य देशों का प्रदर्शन:
- वर्ष 2022 की रिपोर्ट में भारत 180 देशों की सूची में 8 स्थान नीचे फिसलकर 142वें स्थान से, 150वें स्थान पर आ गया है।
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’में नॉर्वे (पहला) डेनमार्क (दूसरा), स्वीडन (तीसरा) स्थान हासिल किया है। 180 देशों की इस सूची में, ‘उत्तर कोरिया’ स्थान सबसे निचले पायदान पर है।
- भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 76वें स्थान पर तथा पाकिस्तान को 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश को 162वें और म्यांमार को 176वें स्थान पर रखा गया है। जबकि चीन को सूचकांक में 175वें स्थान पर रखा गया है।
भारत के खराब प्रदर्शन के कारण
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रैंकिंग “पत्रकारों के खिलाफ हिंसा” और “राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया” के कारण नीचे गिरी है। इसकी वजह से, प्रेस की स्वतंत्रता विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में “संकट” की स्थिति में पहुँच गयी है।
- अधिक लोकतांत्रिक होने वाले राष्ट्रों के बीच, भारत की मीडिया को “उत्तरोत्तर सत्तावादी और/या राष्ट्रवादी सरकारों” के दबाव का सामना करना पड़ता है।
- रिपोर्ट में, भारत के नीतिगत ढांचे को दोष दिया गया है, जोकि सैद्धांतिक रूप में सुरक्षा प्रदान करने वाला है, लेकिन और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को “राष्ट्र-विरोधी” बताते हुए इनके खिलाफ मानहानि, देशद्रोह, अदालत की अवमानना का उपयोग करने और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा’ जैसे आरोपों का सहारा लेता है।
‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ के बारे में:
- वर्ष 1991 में ‘यूनेस्को’ की महासभा द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद 1993 में ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ द्वारा ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ (World Press Freedom Day – WPFD) की घोषणा की गई थी।
- यह दिवस, यूनेस्को द्वारा ‘विंडहोक घोषणा’, 1991 (Windhoek Declaration) अपनाए जाने को भी चिह्नित करता है।
- इसका उद्देश्य, ‘स्वतंत्र, स्वतंत्र और बहुलवादी प्रेस का विकास’ करना है।
स्रोत –द हिन्दू