15वीं विश्व वानिकी कांग्रेस (WFC) ने ‘सियोल वन घोषणा–पत्र (SFD) का समर्थन किया
हाल ही में 15वीं विश्व वानिकी कांग्रेस (WFC) ने “सियोल वन घोषणा-पत्र” (SFD) का समर्थन किया है।
विश्व वानिकी कांग्रेस (World Forestry Congress) सरकारों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच है। यह वानिकी से संबंधित सिफारिशें भी करता है, जिन्हें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लागू किया जाता है।
यह कांग्रेस वर्ष 1954 से खाद्य और कृषि संगठन (FAO)के तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। यह आमतौर पर प्रत्येक छह वर्ष में आयोजित होती है।
इस वर्ष की थीम थी: “एक हरित, स्वस्थ और लचीले भविष्य का निर्माण” (बिल्डिंग ए ग्रीन, हेल्दी एंड रेसिलिएंट फ्यूचर)।
सियोल वन घोषणा-पत्र में उन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो मानवता के सामने आने वाले कई संकटों से निपटने में मदद कर सकते हैं।
इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- वनों की जिम्मेदारी को सभी संस्थानों, क्षेत्रों और हितधारकों के बीच साझा तथा एकीकृत किया जाना चाहिए।
- विश्व स्तर पर वन और भू-परिदृश्य पुनर्स्थापन में निवेश को वर्ष 2030 तक तिगुना करने की आवश्यकता है। इससे निम्नीकृत भूमि के पुनर्स्थापन के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्यों को पूरा किया जा सकेगा।
- वन संरक्षण, पुनर्स्थापन आदि में निवेश बढ़ाने के लिए नए हरित वित्तपोषण तंत्र पर विचार करने की जरूरत है।
- संधारणीय तरीके से उत्पादित लकड़ी का अनिवार्य रूप से निम्नलिखित में उपयोग किया जाना चाहिए:
- निर्माण क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए,
- नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए,
- नई अभिनव सामग्री उपलब्ध कराने के लिए, और
- एक चक्रीय जैव–अर्थव्यवस्था और जलवायु तटस्थता की ओर बढ़ने के लिए।
विश्व वानिकी कांग्रेस में शुरू की गई अन्य पहलें–
- एकीकृत जोखिम प्रबंधन तंत्र के साथ वनों का भविष्य सुनिश्चित करना (Assuring the Future of Forests with Integrated Risk Management-AFFIRM): यह अलग-अलग देशों को वनाग्नि को बेहतर ढंग से समझने, उसका प्रबंधन करने और उससे निपटने में मदद करेगा।
- वन पारिस्थितिकी तंत्र की प्रचुरता को बनाए रखना (Sustaining an Abundance of Forest Ecosystems: SAFE) अर्थात् “सेफ” पहल शुरू की गयी है।
- ‘यूथ स्टेटमेंट्स ऑन फॉरेस्ट्स’ और ‘मिनिस्ट्रीयल कॉल ऑन सस्टेनेबल वुड्स’ जैसी पहले भी शुरू की गई हैं।
स्रोत –द हिन्दू