विश्व खाद्य पुरस्कार
हाल ही में ‘सिंथिया रोसेनज़वेग’ को विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food prize) से सम्मानित किया गया है। ‘सिंथिया रोसेनज़वेग’ नासा की एक जलवायु अनुसंधान वैज्ञानिक हैं।
इन्होने अपने जीवन का अधिकांश समय यह समझाने में बिताया है कि ‘वैश्विक खाद्य उत्पादन’ को किस प्रकार बदलती जलवायु के अनुकूल होना चाहिए।
इसी वजह से ‘खाद्य उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव’ पर उनके द्वारा तैयार किए गए अभिनव मॉडल के सम्मान में ‘कृषि विज्ञानी और जलवायु विज्ञानी ‘सिंथिया रोसेनज़वेग’ को $ 250,000 का पुरस्कार दिया गया है।
‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ के बारे में:
- विश्व खाद्य पुरस्कार का गठन वर्ष 1986 में किया गया था, इसके प्रायोजक ‘जनरल फ़ूड कॉर्पोरेशन’ थे।
- इस पुरस्कार की परिकल्पना, वैश्विक कृषि में अपने कार्यों के लिए वर्ष 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता ‘डॉ. नॉर्मन ई बोरलॉग’ द्वारा की गयी थी। इनको हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है।
- विश्व खाद्य पुरस्कार, विश्व में भोजन-गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार करके मानव विकास करने संबंधी कार्य करने वाले व्यक्तियों की विशिष्ट उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करने हेतु दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है।
- यह पुरस्कार , पादप, पशु और मृदा विज्ञान; खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी; पोषण, ग्रामीण विकास, आदि सहित विश्व खाद्य आपूर्ति से संबंधित सभी क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है ।
- यह पुरस्कार, सभी नृजातियों, धर्मों, राष्ट्रीयता या राजनीतिक मान्यताओं के किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है। इसमें पुरस्कार की नकद राशि $ 2,50,000 है ।
- यह पुरस्कार, ‘विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन’ द्वारा प्रदान किया जाता है। इस फाउंडेशन में लगभग 80 से अधिक कंपनियां और निजी व्यक्ति दानकर्ता के रूप में शामिल हैं।
- इस पुरस्कार को “खाद्य और कृषि क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार” भी कहा जाता है।
- सर्वप्रथम यह पुरस्कार वर्ष 1987 में, भारत में हरित क्रांति के जनक, डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को दिया गया था।
स्रोत –द हिन्दू