वर्ल्ड एनर्जी ट्रांजिशन आउटलुक–2022
हाल ही में, बर्लिन एनर्जी ट्रांजिशन डायलॉग के दौरान IRENA द्वारा, वर्ल्ड एनर्जी ट्रांजिशन आउटलुक-2022 जारी किया गया।
- इसमें कहा गया कि, इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) के अनुसार, वैश्विक ऊर्जा और जलवायु संकट से निपटने के लिए “एनर्जी ट्रांजिशन” बेहद जरूरी है ।
- वर्ल्ड एनर्जी ट्रांजिशन आउटलुक – 2022 में, उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के आधार पर प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और कार्रवाइयों को निर्धारित किया गया है। इसमें यह उल्लेख किया गया है कि, यदि इस सदी के मध्य तक “निवल शून्य उत्सर्जन” का लक्ष्य हासिल करना है, तो इन प्राथमिकताओं और कार्रवाइयों वर्ष 2030 तक साकार करना होगा।
- इस सदी के मध्य तक जीवाश्म ईंधन आधारित वैश्विक ऊर्जा क्षेत्रक को शून्य-कार्बन वाले ऊर्जा क्षेत्रक में रूपांतरित करने का सबसे उपयुक्त उपाय एनर्जी ट्रांजिशन है।
- इसके तहत मुख्य रूप से ऊर्जा से संबंधित CO2 उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया जाता है, ताकि जलवायु परिवर्तन को सीमित किया जा सके।
इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमः
- हरित ऊर्जा गलियारा के तहत अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली आरंभ की गई है।
- प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान यानी पी.एम.- कुसुम योजना आरंभ की गई है। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में डीजल से चलने वाले पंपों की बजाए सौर ऊर्जा वाले पंपों को बढ़वा देना है।
- अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind Energy) की क्षमता का उपयोग करने के लिए वर्ष 2015 में अपतटीय पवन ऊर्जा नीति की घोषणा की गई थी।
- इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) में 1,500 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है। यह एजेंसी अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) क्षेत्र से संबंधित परियोजना को वित्तपोषण प्रदान करती है।
- फेम इंडिया (FAME INDIA) योजना शुरू की गई है। फेम इंडिया का आशय है- भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और विनिर्माण (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid – Electric Vehicles in India)
- इसके अलावा, राष्ट्रीय सौर मिशन, राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, किफायती एल.ई.डी. के लिए उजाला योजना आदि पहलों को भी आरंभ किया गया है ।
स्रोत – द हिंदू