“किसी महिला को डायन घोषित करना” होगा अब अपराध
ओडिशा राज्य महिला आयोग की एक समिति ने “किसी महिला को डायन घोषित करने” (Witch Branding) को अपराध बनाने का सुझाव दिया है ।
ओडिशा राज्य महिला आयोग ने ओडिशा डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को कठोर किए जाने की मांग की है। साथ ही, पीड़ितों को डायन घोषित करने को जघन्य और दंडनीय अपराध बनाये जाने की भी मांग की गई है। ‘डायन घोषित कर प्रताड़ित करने की प्रथा’ एक कुप्रथा है।
इसमें महिलाओं पर तांत्रिक शक्तियों का उपयोग करने का आरोप लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये शक्तियां हानिकारक प्रभाव पैदा करती हैं। इस प्रकार के आरोप लगने के बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। उन्हें घर तथा समाज से निर्वासित कर दिया जाता है, कोड़े मारे जाते हैं तथा पीटा जाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के एक अध्ययन के अनुसार, यह कुप्रथा झारखंड, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में अधिक प्रचलित है।
डायन प्रताड़ना के कारणः
- इसके मुख्य कारणों में आर्थिक पिछड़ापन, संसाधनों की कमी और गरीबी शामिल है।
- कम साक्षरता दर ने भी अंधविश्वास और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को बढ़ावा दिया है।
- प्रचलित जाति व्यवस्था, पितृसत्तात्मक मानदंड, लैंगिक संघर्ष तथा
- निरंतर जागरूकता कार्यक्रमों की कमी, कानूनों का अनुपालन नहीं होना व सरकार के सूचित हस्तक्षेप का कार्यान्वयन नहीं होने से समस्या और गंभीर हो गई है।
समिति के सुझावः
- डायन घोषित करने से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों की आवश्यकता है।
- पीडितों के बचाव, पुनर्वास. उपचार और काननी खचों का वहन करने की जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए।
- ओझाओं (witch doctors) को भी समान रूप से अपराध में शामिल होने का दोषी माना जाना चाहिए।
- डायन प्रथा से जुड़े क्षेत्रों में कानून प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही, पारंपरिक नेताओं एवं महिला समूहों को शामिल कर जागरूकता अभियान आयोजित करने चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू