वेज एंड मीन्स एडवांसेज (WMA)
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने राज्यों के लिए अर्थोपाय अग्रिम (ways and means advances: WMA) की सीमा कम कर दी है ।
- कोविड महामारी से उत्पन्न स्थिति में सुधार को देखते हुए RBI ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए WMA की सीमा को 51,560 करोड़ रुपये से घटाकर 47,010 करोड़ रुपये कर दिया है।
- कोविड-19 से संबंधित अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए RBI ने वर्ष 2021 में WMA की सीमा बढ़ा दी थी।
- RBI अधिनियम 1934 के तहत RBI केंद्र और राज्यों को अस्थायी अग्रिमों के रूप में अर्थोपाय अग्रिम उपलब्ध करवाता है।
- सरकार की कुल प्राप्तियों और कुल भुगतान में किसी भी अंतर से निपटने के लिए अर्थोपाय अग्रिम उपलब्ध कराया जाता है।
- वेज एंड मीन्स एडवांसेज (WMA) के लिए राज्य/केंद्र सरकारों को रेपो दर से जुड़े ब्याज का भुगतान करना होता है।
- WMA राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) का हिस्सा नहीं है, क्योंकि इनका भुगतान वर्ष के भीतर ही कर दिया जाता है।
WMA दो प्रकार के होते हैं:
सामान्य और विशेष:
जहां सामान्य WMA स्पष्ट अग्रिम होते हैं, वहीं विशेष WMA या विशेष आहरण सुविधा (Special Drawing Facility: SDT), राज्य द्वारा धारित सरकारी प्रतिभूतियों की जमानत (कोलैटरल) के विरुद्ध प्रदान की जाती है।
जब राज्य SDF सीमा का व्यय कर चुके होते हैं, तब उन्हें सामान्य WMA प्राप्त होता है। WMA के अलावा, राज्यों को ओवरड्राफ्ट सुविधा भी प्रदान की जाती है। लेकिन यह सुविधा तब प्राप्त होती है, जब किसी राज्य की वित्तीय जरूरत उसकी SDF और WMA सीमा में से अधिक हो जाती है।
WMA के माध्यम से प्राप्त की जा सकने वाली निधियों के लिए राज्य-वार सीमा निर्धारित है। ये सीमाएँ राज्य के कुल व्यय, राजस्व घाटा और राजकोषीय स्थिति जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं। WMA की सीमाएं सरकार और RBI द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाती हैं। इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है।
स्रोत –द हिन्दू