विजयनगर कर्नाटक का 31वां जिला बना
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में अधिसूचित किया है कि विजयनगर (Vijayanagara) आधिकारिक तौर पर कर्नाटक का 31वां जिला बन गया है। इसका मुख्यालय होसपेट में है।
विजयनगर जिला (Vijayanagara District):
- विजयनगर (Vijayanagara) हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में स्थित है।
- यह जिला यूनेस्को की विश्व धरोहरों का स्थान है, जिसमें हम्पी और विरुपाक्ष मंदिर है।
- विजयनगर जिले का नाम विजयनगर साम्राज्य की राजधानी के नाम पर रखा गया है।
- इस जिले को कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम, 1964 के अनुसार अयस्क-समृद्ध बेल्लारी जिले से अलग करके स्थापित किया गया था।
- इस जिले में छह तालुक शामिल होंगे, जैसे होसापेट, कोट्टुरू, कुडलिगी, हागीरबोमनहल्ली, हापपनहल्ली और होविना हदगाली।
आलोचना:
नए जिले के निर्माण की योजना की बहुत आलोचना हुई। इसके अलावा, इस कदम के कारण आलोचना की गई थी कि एक नए जिले को बनाने के लिए बेल्लारी जिले के विभाजन से तेलुगु भाषी लोगों और कन्नड़ भाषी लोगों के बीच भाषाई विवाद हो सकता है।
हम्पी:
यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है जो पूर्व-मध्य कर्नाटक में स्थित है। यह स्थल हिंदू धर्म का एक तीर्थस्थल है। हम्पी क्षेत्र 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। हम्पी-विजयनगर बीजिंग के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मध्ययुगीन युग का शहर था।
विजयनगर साम्राज्य:
इसे कर्णट साम्राज्य और पुर्तगालियों द्वारा बिसनेगर साम्राज्य भी कहा जाता था। भारत के डेक्कन(दक्खन) क्षेत्र में स्थित था। यह 1336 में संगमा राजवंश के दो भाई हरिहर राय और बुक्का राय,द्वारा स्थापित किया गया था, जो गौपालक समुदाय के सदस्य थे और उन्होंने यादव वंश से होने का दावा किया था।
साम्राज्य की कला:
- विजयनगर (Vijayanagara) शासकों ने अपने दरबार में बड़े-बड़े विद्वानों एवं कवियों को स्थान दिया। इससे इस काल में साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
- राजा कृष्णदेव राय एक महान् विद्वान, संगीतज्ञ एवं कवि थें। उन्होंने तेलुगू भाषा में ‘अमुक्तमाल्यदा’तथा संस्कृत में ‘जांबवती कल्याणम्’ नामक पुस्तक की रचना की।
- उनके राजकवि पद्दन ने ‘मनुचरित्र’ तथा ‘हरिकथा शरणम्’ जैसी पुस्तकों की रचना की। वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार ‘सायण’ तथा उनके भाई माधव विजयनगर (Vijayanagara) के शासन के आरंभिक काल से संबंधित हैं। सायण ने चारों वेदों पर टीकाओं की रचनाकार वैदिक संस्कृति को बढ़ावा दिया।
- चित्रकला के क्षेत्र में ‘लिपाक्षी शैली’ तथा नाटकों के क्षेत्र में ‘यक्षगान’ का विकास हुआ। लिपाक्षी कला शैली के विषय रामायण एवं महाभारत से संबंधित हैं।
स्रोत – द हिन्दू