संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘वीटो शक्ति का भारत द्वारा विरोध

संयुक्त राष्ट्र महासभा में वीटो शक्ति का भारत द्वारा विरोध

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने “वीटो शक्ति” के उपयोग से संबंधित एक संकल्प को सर्वसम्मति से अपना लिया है। वीटो शक्ति के उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र के प्रारूप प्रस्ताव पर भारत ने चिंता व्यक्त की है।

इस संकल्प के अनुसार, यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के 5 स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो का इस्तेमाल किया जाता है, तो महासभा की बैठक स्वतः ही दिनों के भीतर आयोजित हो जाएगी।

इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य वीटो के इस्तेमाल की जांच कर सकते हैं और अपनी राय दे सकते हैं।

यह प्रस्ताव लिकटेंस्टीन ने 83 सह-प्रायोजकों की ओर से प्रस्तुत किया था। भारत सह-प्रायोजकों में शामिल नहीं था।

इस संकल्प पर भारत का पक्ष

भारत ने सैद्धांतिक रूप से वीटो को समाप्त करने की मांग की है। भारत का यह भी कहना है कि, जब तक वीटो जारी रहता है, तब तक इसके इस्तेमाल का अधिकार नए स्थायी सदस्यों को भी दिया जाना चाहिए।

भारत ने इस संकल्प के प्रभावी होने पर भी संदेह प्रकट किया है। भारत ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा परिषद में किसी मुद्दे पर गतिरोध होने की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्यों के लिए आपातकालीन आधार पर चर्चा करने हेतु पहले से ही तंत्र मौजूद हैं। यहां तक कि ये तंत्र उन मुद्दों पर कार्रवाई करने में सक्षम भी बनाते हैं।

भारत की 5 चिंताएं: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार संबंधी भारत की पांच चिंताएं हैं। इनमें वीटो शक्ति में सुधार भी शामिल है।

ये पांच चिंताएं निम्नलिखित हैं:

  1. सदस्यता की श्रेणियां,
  2. पांच स्थायी सदस्यों को प्राप्त वीटो का प्रश्न,
  3. क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व,
  4. विस्तारित सुरक्षा परिषद का आकार और उसके कार्य करने के तरीके तथा
  5. सुरक्षा परिषद और महासभा के मध्य संबंध ।

क्या है वीटो शक्ति?

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य (0-5); चीन, फ्रांस, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम हैं। इन्हें किसी भी मौलिक (substantive) संकल्प को वीटो करने या उसे अस्वीकार करने का अधिकार प्राप्त है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर में वीटो शक्ति का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
  • हालांकि, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 27 के तहत किसी मामले पर स्थायी सदस्यों की सहमति वाले मतों की आवश्यकता होती है। इस कारण से, वीटो की शक्ति को महान सर्व-सम्मति के सिद्धांत (principle of great unanimity) के रूप में भी जाना जाता है।

स्रोत द हिन्दू

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