शिक्षा में जोड़ेगी उत्तर प्रदेश सरकार प्रसन्नता पाठ्यक्रम (Happiness Curriculum)
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2020-2021 के शैक्षणिक सत्र से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रसन्नता पाठ्यक्रम शुरू किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है।
इस पाठ्यक्रम को प्राप्ति पाठ्यक्रम (Realisation Curriculum) के नाम से जाना जायेगा ,इस कार्यक्रम की शुरुवात सर्वप्रथम मथुरा के विद्यालयों में किया जाएगा।
विदित हो की इससे पहले वर्ष 2018 में इस पाठ्यक्रम की शुरुवात दिल्ली सरकार द्वारा भी कि जा चुकी है ।
इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य:
इसका उद्देश्य सार्थक और चिंतनशील कहानियों और गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को स्थायी खुशी या प्रसन्नता हासिल करने में सहयोग प्रदान करना है।
क्या जोड़ा जायेगा इस पाठ्यक्रम मे ?:
इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों में विद्यार्थियों के कल्याण और उनकी प्रसन्नता पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ उनकी संवेदना, भाषा, साक्षरता, अभिरुचि और कला से सम्बंधित क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाता है।
पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन:
प्रारम्भ में इस पाठ्यक्रम को नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए शुरू किया गया है। इस पाठ्यक्रम को तीन वर्गों में बांटा गया है जिसमें-
- वर्ग-1 के अंतर्गत केजी और नर्सरी के छात्रों को सम्मिलित किया जाएगा और एक शिक्षक की देखरेख में बुद्धिमत्ता गतिविधियों और अभ्यास से संबंधित कक्षाओं का आयोजन दो सप्ताह में एक बार किया जायेगा, प्रत्येक सत्र की समयावधि 45 मिनटों की होगी। कक्षा 1 और कक्षा 2 के बच्चों के लिए साप्ताहिक कार्यदिवसों के दौरान बुद्धिमत्ता गतिविधियों तथा अभ्यास के साथ-साथ चिंतनशील प्रश्नों को सम्मिलित करते हुए कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा।
- वर्ग-2 में कक्षा 3-5 के छात्रोंको सम्मिलित किया जाएगा।
- वर्ग-3 में कक्षा 6-8 तक के छात्रों को शामिल किया जाएगा। इस दोनों वर्गों के छात्र उपरोक्त गतिविधियों के अलावा व्यवहार में परिवर्तन को दर्शाने वाले आत्म-अभिव्यक्तियों में भी शामिल होंगे।
मूल्यांकन पद्धति:
इस पाठ्यक्रम के तहत न किसी प्रकार की परीक्षा का आयोजन किया जाएगा और न ही किसी तरह के अंक प्रादान करने का प्रावधान किया गया है।
इसमें गुणात्मक मूल्यांकन की व्यवस्था की गयी है जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी के व्यक्तिगत प्रदर्शन को देखते हुए ‘परिणाम के बजाय प्रक्रिया’ पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
इस पाठ्यक्रम के शिक्षण परिणामों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- यथोचित वुद्धिपरक और सचेत
- आलोचनात्मक चिंतन एवं मीमांसा विकसित करना
- सामाजिक-भावनात्मक कौशल विकसित करना
- बेहतर संचार कौशल विकसित करना और एक आत्मविश्वासपूर्ण और हँसमुख व्यक्तित्व विकसित करना
स्रोत: द हिन्दू