अमेरिका ने अपनाया ‘कार्बन मूल्य निर्धारण’

अमेरिका ने अपनाया कार्बन मूल्य निर्धारण

हाल ही में जलवायु परिवर्तन पैनल ने कार्बन मूल्य निर्धारण (carbon pricing) की सराहना की है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (IPCC) ने कार्बन मूल्य निर्धारण को उत्सर्जन को कम करने के लिए अभी उपलब्ध सबसे शक्तिशाली और कुशल रणनीति कहा है।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के पेंसिल्वेनिया राज्य ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन मूल्य निर्धारण नीति को अपनाया है। ऐसा करने वाला यह अमेरिका का पहला प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक राज्य बन गया है।
  • यह उन 11 राज्यों में शामिल हो गया है, जहां कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस ईंधन वाले विद्युत् संयंत्रों को उनके द्वारा उत्सर्जित प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड के लिए क्रेडिट खरीदने होंगे।
  • अमेरिका कार्बन की सामाजिक लागत का प्रावधान कर रहा है। कार्बन की सामाजिक लागत के तहत प्रदूषणकारी उद्योगों पर कड़े प्रतिबंधों को उचित ठहराने के लिए भविष्य में होने वाली जलवायु हानियों की गणना की जाती है।
  • कार्बन मूल्य निर्धारण, कार्बन उत्सर्जन (ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन) को कम करने का एक तरीका है। यह उत्सर्जक पर ही उत्सर्जन की लागत आरोपित करने के लिए बाजार तंत्र का उपयोग करता है।
  • यह व्यवस्था यह दर्शाती है कि नीलामी में पेश किए जाने वाले उत्सर्जन क्रेडिट की सीमित मात्रा के लिए कंपनियां कितना भुगतान करने को तैयार हैं।

कार्बन मूल्य निर्धारण के प्रकार

  • उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS): इसे कैप-एंड-ट्रेड सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है। इसके तहत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की कुल सीमा तय की जाती है। इसमें कम उत्सर्जन वाले उद्योगों को अपनी अतिरिक्त उत्सर्जन बचत को बड़े उत्सर्जकों को बेचने की अनुमति दी जाती है।
  • कार्बन करः इस व्यवस्था में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर प्रत्यक्ष मूल्य आरोपित किया जाता है। इसके तहत एक आर्थिक अभिकर्ता को प्रत्येक टन कार्बन प्रदूषण उत्सर्जन के लिए भुगतान करना होता है।

स्रोत –द हिन्दू

Download Our App

MORE CURRENT AFFAIRS

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course