ऊपरी वायुमंडलीय परिसंचरण में परिवर्तन के परिणामस्वरूप बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात निर्मित होते हैं?

Question – किस प्रकार, ऊपरी वायुमंडलीय परिसंचरण में परिवर्तन के परिणामस्वरूप बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात (extratropical cyclones) निर्मित होते हैं? उष्णकटिबंधीय तथा बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में अंतर स्पष्ट कीजिए। 23 March 2022

Answer – बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात  एक निम्‍नदाब वाली वायु प्रणाली है, जो मुख्य रूप से वातावरण में मौजूद क्षैतिज तापमान से अपनी ऊर्जा प्राप्त करता है। यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों के बीच उत्पन्न होने वाला निम्न वायुदाब वाला चक्रवात है। इस तरह के चक्रवात को लहर चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात भी कहते हैं।

ऊपरी वायुमंडलीय परिसंचरण और बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का निर्माण

सर्वमान्य स्तिथि में कोरिओलिस बल की उपस्थिति, उर्ध्वाधर पवनों की गति में अंतर कम होना, कमज़ोर निम्न दाब क्षेत्र तथा समुद्र तल पर ऊपरी अपसरण उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति व विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ पैदा करते हैं। अत्यधिक वाष्पीकरण के फलस्वरूप आर्द्र हवाओं के आरोहण से इनका निर्माण होता है। इन चक्रवातों को ऊर्जा, संघनन की गुप्त उष्मा से मिलती है। इसीलिये इन चक्रवातों का मुख्य प्रभाव तटीय भागों में ही होता है क्योंकि स्थल भाग पर आने पर इनकी ऊर्जा के स्रोत, संघनन की गुप्त उष्मा, का ह्रास होता चला जाता है।

बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात एक निम्‍नदाब वाली वायु प्रणाली है, जो मुख्य रूप से वातावरण में मौजूद क्षैतिज तापमान से अपनी ऊर्जा प्राप्त करता है। यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों के बीच उत्पन्न होने वाला निम्न वायुदाब वाला चक्रवात है। इस तरह के चक्रवात को लहर चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात भी कहते हैं।

चित्र: बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात में ऊपरी वायु एवं सतह परिसंचरण

इसमें आगे और पीछे की शीत वायु अथवा शीत क्षेत्र के मध्य, उष्ण वायु या उष्ण क्षेत्रों की संकुल होते हैं। उष्ण वायु, शीत वायु पर प्रवाहित होती है और उष्ण वताग्र से पहले मेघों का एक क्रम आकाश पर दिखाई देता है, और वर्षा का कारण बनता है। शीत वताग्र पीछे से उष्ण वायु  के पास पहुंचता है, और उष्ण वायु को ऊपर की ओर धकेलता है। फलस्वरूप, शीत वताग्र के साथ कपासी मेघ विकसित होते हैं। शीत वताग्र, उष्ण वताग्र की तुलना में तीव्रता से आगे बढ़ता है और अंततः उष्ण वताग्र को पछाड़ देता है।  उष्ण वायु पूरी तरह से ऊपर उठ जाती है, और सामने का भाग अवरुद्ध हो जाता है और चक्रवात समाप्त हो जाता है।

चित्र: अथिविष्ट या अवरोधित वाताग्र

उष्णकटिबंधीय तथा बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में अंतर:

आधार उष्णकटिबंधीय चक्रवात बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात
विशिष्ट गुण यह कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच में उत्पन्न होता है। इसकी मुख्य बात यह है कि ये सागरों के मध्य बहुत सक्रिय होते हैं, लेकिन स्थल पर पहुँचते-पहुँचते क्षीण हो जाते हैं। इसलिए ये महाद्वीपों के तटीय भागों पर ही अधिक प्रभावी रह पाते हैं। ये चक्रवात मुख्यतः 5 डिग्री से 15 डिग्री अक्षांशों के बीच दोनों गोलाधों में महासागरों के ऊपर उत्पन्न होते हैं। साइक्लोजेनेसिस या एक्सट्रैट्रोपिकल संक्रमण के माध्यम से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों (भूमध्य रेखा से 30 डिग्री और 60 डिग्री अक्षांश के बीच) उत्पन्न हुए चक्रवात को बायोष्णकटिबंधीय चक्रवात कहते हैं। वायुमंडल में इनकी ऊँचाई 10 से 12 किलोमीटर तथा लम्बाई 160 किलोमीटर से 3200 किलोमीटर तक होती है । इनकी औसत गति ग्रीष्म में 32 किलोमीटर तथा शीत में 48 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है।
विन्यास समुद्र का अधिक गर्म तापमान, उच्च सापेक्ष आद्रता एवं वायु मण्डलीय अस्थिरता का आपस में संयोजन, उष्णकटिबंधीय चक्रवात का प्रमुख कारण है। यह चक्रवात धुरवीय क्षेत्रों से आने वाली हवाओं का मिलन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों से आने वाली हवाओं के संयोजन से उत्पन्न होता है।
दिशा यह पूर्व से पश्चिम की ओर चलता है । यह पश्चिम से पूर्व की ओर चलता है।
चक्रवात की प्रकृति प्रचंड तूफ़ान स्थिर तूफ़ान
प्रकार गर्म वायु प्रणाली शीत वायु प्रणाली

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