UNSC से संबंधित मुद्दे
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) वर्तमान वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
UNGA के अध्यक्ष ने अपनी भारत यात्रा के दौरान UNSC में मौजूद कमियों को रेखांकित किया और इसमें सुधार की आवश्यकता पर बल दिया ।
उन्होंने यह टिप्पणी UNSC के एक स्थायी सदस्य रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को देखते हुए की है ।
UNSC से संबंधित मुद्दे
UNSC समकालीन विश्व का प्रतिनिधित्व नहीं करती है ।
इस संस्था में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है ।
विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कम है।
इसके अलावा, अफ्रीका या लैटिन अमेरिका का कोई भी देश इसका स्थायी सदस्य नहीं है।
इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता का अभाव है ।
स्थायी सदस्य अक्सर वीटो शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए रूस ने यूक्रेन पर UNSC के संकल्पों को वीटो कर दिया है।
UNSC में सुधारों को लेकर भारत की प्रमुख मांगों में निम्नलिखित शामिल हैं:
G-4 सदस्यों (भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान ) को स्थायी सदस्यता प्रदान की जाए ।
वीटो शक्ति को समाप्त किया जाए ।
स्थायी और गैर-स्थायी, दोनों प्रकार की सदस्यता में विस्तार किया जाए।
परिषद में सभी भौगोलिक क्षेत्रों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
UNSC की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के माध्यम से की गई थी। यह संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक है। इस संस्था की प्राथमिक जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है ।
UNSC में 15 सदस्य होते हैं ।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
सुरक्षा परिषद के पास सदस्य देशों के संबंध में बाध्यकारी निर्णय लेने की शक्ति है।
वीटो शक्ति के साथ स्थायी सदस्य पाँच है : चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ।
दो वर्षों के कार्यकाल के साथ गैर-स्थायी सदस्यों की संख्या क्षेत्रीय आधार पर 10 है जिनमें –
अफ्रीका (3),एशिया (2),लैटिन अमेरिका (2),पश्चिमी यूरोप और अन्य (2)और पूर्वी यूरोप ( 1 )शामिल होता है
स्रोत – द हिन्दू