संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता
हाल ही में, जी-7 देशों की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपनी स्थापना के समय के अनुसार शक्तियों के वितरण को प्रतिबिम्बित करता है तथा वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार इसमें शक्तियों का पुनर्वितरण होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
- यह संयुक्त राष्ट्र की संरचना की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1945 में किया गया था।
- इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है। सुरक्षा परिषद्, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
- यह मुख्य तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने हेतु उत्तरदायी है।
- इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका , ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन) हैं, जिनके पास वीटो का अधिकार है।
- सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य देशों के अतिरिक्त 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं, जो क्षेत्रीय आधार के अनुसार दो साल की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा चुने जाते हैं, इन्हें वीटो का अधिकार प्राप्त नहीं होता है।
- इसके स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनते है।
- भारत वर्ष 2021 से 2023 की अवधि तक सुरक्षा परिषद् का अस्थाई सदस्य है।
जी-4
- जापान, जर्मनी, ब्राजील और भारत इस समूह के सदस्य है।
- ये देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाने की मांग करते हैं तथा स्थायी सदस्यता के लिये एक-दूसरे का समर्थन भी करते हैं।
- विधिसम्मत शासन और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान तथा बहुपक्षवाद के प्रति वचनबद्धता सहित अन्य साझे राजनैतिक मूल्यों वाले लोकतांत्रिक देशों के रूप में जी-4 देशों का अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न प्रमुख समसामयिक चुनौतियों के संबंध में साझा नजरिया है।
कॉफ़ी क्लब
- इसमें पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, मिस्र, स्पेन, अर्जेंटीना मैक्सिको और इटली जैसे 13 देश शामिल हैं।
- यह देश सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के विस्तार का विरोध करते है तथा अस्थायी सदस्यता के विस्तार की मांग करते है।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स