आतंकवाद की साझा परिभाषा पर संयुक्त राष्ट्र (UN) अभी सहमत नहीं
भारत ने बयान दिया है कि आतंकवाद की साझा परिभाषा पर संयुक्त राष्ट्र (UN) अभी सहमत नहीं है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत ने चिंता व्यक्त की है कि, इस वैश्विक निकाय ने अब तक आतंकवाद की एक साझा परिभाषा पर सहमति व्यक्त नहीं की है।
इसके अलावा, UN ने आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने और इसके सक्षम नेटवर्क को समाप्त करने के लिए एक बेहतर समन्वित नीति भी तैयार नहीं की है।
भारत ने वर्ष 1986 में संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) पर एक प्रारूप दस्तावेज प्रस्तावित किया था।
हालांकि, इसे अभी तक लागूनहीं किया गया है, क्योंकि सदस्य देशों के बीच आतंकवाद की परिभाषा पर कोई सर्वसम्मति नहीं है।
CCIT एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह ढांचा सभी हस्ताक्षरकर्ताओं को आतंकवादी समूहों को धन और सुरक्षित शरण देने से इनकार करना बाध्यकारी बनाता है।
CCIT के प्रमुख उद्देश्य
- आतंकवाद की एक सार्वभौमिक परिभाषा तैयार करना, ताकि संयुक्त राष्ट्र महासभा के सभी 193 सदस्य देश अपने स्वयं के आपराधिक कानूनों में उसे शामिल कर सकें।
- सभी आतंकी समूहों पर प्रतिबंध लगाना और आतंकी शिविरों को बंद करना।
- सभी आतंकवादियों पर विशेष कानूनों के तहत मुकदमा चलाना।
- विश्व भर में सीमा पार आतंकवाद को प्रत्यर्पण योग्य (extraditable) अपराध बनाना।
आतंकवाद से निपटने के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयास:
- भारत ने मानवाधिकारों और आतंकवाद पर एक मसौदा प्रस्ताव को सह–प्रायोजित किया था। इसे वर्ष 1999 में अपनाया गया था।
- भारत ने महासभा द्वारा अपनाई गई वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति का समर्थन किया है, और उसमें शामिल हुआ है।
स्रोत -द हिन्दू