संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के 50 वर्ष पूर्ण
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की वार्षिक रिपोर्ट में इसकी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख किया गया ।
रिपोर्ट ग्रह संबंधी कार्यवाहियों के तहत निम्नलिखित 3 कार्यों की पहचान करती है:
- जलवायु संबंधी कार्य- इसमें निम्न कार्बन उत्सर्जन परियोजनाओं के लिए ‘नेट-जीरो एसेट ओनर एलायंस’, अंतर्राष्ट्रीय मीथेन उत्सर्जन वेधशाला, ‘सीड कैपिटल असिस्टेंस फैसिलिटी’ आदि शामिल हैं।
- प्रकृति संबंधी कार्य- इसमें पर्यावरणीय आर्थिक लेखांकन प्रणाली, पारितंत्र-लेखांकन जैसी विधियों को अपनाना, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली (2021-30) पर संयुक्त राष्ट्र दशक का आरंभ आदि शामिल हैं।
- रसायन और प्रदूषण संबंधी कार्य- इसमें वायु प्रदूषण कानून के वैश्विक आकलन का शुभारंभ, इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एयर फॉर ब्लू स्काइज़, बैटरी में मौजूद खतरनाक सीसे के बारे में जागरूकता फैलाना आदि शामिल हैं।
UNEP के बारे में
- UNEP की स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम घोषणा के माध्यम से की गई थी। इसका मुख्यालय केन्या के नैरोबी में स्थित है।
- यह एक वैश्विक प्राधिकरण है। इसका कार्य पर्यावरण एजेंडे का निर्धारण करना और उसके सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- यह भारत सहित 193 सदस्य देशों तथा नागरिक समाज, व्यवसायों और अन्य प्रमुख समूहों के प्रतिनिधियों एवं हितधारकों के साथ कार्य करता है।
UNEP के कार्य के 7 व्यापक विषयगत क्षेत्र हैं:
- जलवायु परिवर्तन, आपदाएं और संघर्ष, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरणीय अभिशासन, रसायन एवं अपशिष्ट, संसाधन दक्षता तथा समीक्षा के तहत पर्यावरण।
- यह अपनी आय के 95 प्रतिशत के लिए स्वैच्छिक योगदान पर निर्भर करता है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा की मेजबानी करता है। यह सभा पर्यावरण के मुद्दों पर निर्णय लेने वाली विश्व की सर्वोच्च स्तर की संस्था है।
UNEP के तहत बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौते
यह 15 बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों का प्रशासन करता है। साथ ही, उन्हें सचिवालयी सहायता प्रदान करता है।
इन समझौतों में शामिल हैं –
- जैविक विविधता पर अभिसमय (CBD),
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES),
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS),
- खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के सीमा पार स्थानांतरण के नियंत्रण और उनके निपटान पर “बेसल कन्वेंशन”,
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया पर “रॉटरडम कन्वेंशन”,
- दीर्घस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर “स्टॉकहोम कन्वेंशन”,
- पारा पर “मिनामाता अभिसमय”,
- ओजोन परत के संरक्षण के लिए “वियना कन्वेंशन” आदि।
स्रोत –द हिन्दू