संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को जटिल संघर्षों से अधिक खतरों का सामना करना पड़ता है : रिपोर्ट
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार यह विदित हुआ है कि लगभग 87,000 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को जटिल संघर्षों से अधिक खतरों का सामना करना पड़ता है।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के प्रमुख, जीनपियरेलैक्रोइक्स ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन दो या तीन वर्ष पूर्व की तुलना में आज अधिक खतरों का सामना कर रहे हैं।
वर्तमान में शांतिरक्षक बलों के समक्ष संघर्षों को हल करने संबंधी चुनौतियों में शामिल हैं:
- संघर्ष कई कारकों से प्रेरित होते हैं। इनमें नृजातीय तनाव, संगठित अपराध का संसाधनों के अवैध दोहन परप्रभाव तथा आतंकवाद शामिल हैं।
- संघर्ष बहुस्तरीय अर्थात् न केवल स्थानीय और राष्ट्रीय, बल्कि क्षेत्रीय एवं वैश्विक भी होते हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीका के निर्धन साहेल क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियां।
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों, फेक न्यूज और गलत सूचनाओं का प्रभाव तथा परिष्कृत साधनों के तीव्र उपयोग सहित संघर्ष बढ़ाने वाले साधनों की उपस्थिति।
- राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी परिवेश विकृत हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक उपायः
- शांति सैनिकों को अधिक फुर्तीला, सक्रिय और प्रतिक्रियाशील बनाने के लिए बेहतर चिकित्सा सहायता एवं उपकरण (विशेष रूप से अधिक हेलीकॉप्टर) प्रदान करना।
- शांति अभियानों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि करना अर्थात् शांति स्थापना प्रक्रिया में अधिक महिलाओं की भागीदारी का अर्थ शांति व्यवस्था का अधिक प्रभावी होना है।
- शांति व्यवस्था का डिजिटल परिवर्तन, जो बेहतर संचार को सक्षम करेगा और गलत सूचनाओं का सामना करने में मदद करेगा। यह सूचना के बेहतर संग्रह और प्रसंस्करण में भी सहायता प्रदान करेगा।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के बारे में:
- शांति अभियान अपने अधिदेश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से प्राप्त करते हैं।
- सैनिकों और पुलिस की आपूर्ति सदस्य देशोंद्वारा की जाती है।
- यह अभियान तीन बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते हैं यथाः पक्षकारों की सहमति; निष्पक्षता तथा आत्मरक्षा और अधिदेश की रक्षा के अतिरिक्त बल का प्रयोग न करना।
स्रोत –द हिन्दू