समरूप कार्बन ट्रेडिंग बाजार
हाल ही में भारत सरकार “समरूप कार्बन ट्रेडिंग बाजार” की योजना बना रही है ,प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार एक कार्बन ट्रेडिंग योजना के कार्यान्वयन पर विचार कर रही है।
- यह योजना सभी मौजूदा व्यापार योग्य सर्टिफिकेट्स (कार्बन ट्रेडिंग से संबंधित) को शामिल कर लेगी।
- भारत कार्बन क्रेडिट्स का सबसे बड़ा निर्यातक है। इस तरह की योजना ऊर्जा संक्रमण परियोजनाओं और उत्सर्जन में कमी के लिए वित्तपोषण का एक बेहतर अवसर प्रदान कर सकती है।
- कार्बन ट्रेडिंग परमिट और क्रेडिट खरीदने एवं बेचने की एक बाजार-आधारित प्रणाली है। यह परमिट धारक को कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करने की अनुमति देती है।
- इस व्यवस्था में विद्युत उद्योग, मोटर वाहन और हवाई यात्रा सहित कार्बन के महत्वपूर्ण स्रोतों से उत्सर्जन की अधिकतम अनुमत मात्रा/ सीमा निर्धारित की जाती है।
- सरकारें अनुमत सीमा तक परमिट जारी करती हैं। यदि कोई कंपनी अपने स्तर पर कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाती है, तो वह अधिशेष परमिट्स का कार्बन मार्केट में व्यापार कर नकदी प्राप्त कर सकती है।
- यदि वह कंपनी अपने उत्सर्जन को सीमित करने में सक्षम नहीं है, तो उसे अतिरिक्त परमिट्स खरीदने पड़ सकते हैं।
- यह ग्रीन हाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन को कम करने के लिए क्योटो प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन का एक तंत्र है।
- पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के अनुच्छेद 6 में एक नया कार्बन बाजार स्थापित करने से संबंधित प्रावधानों का भी वर्णन किया गया है।
कार्बन ट्रेडिंग के लाभ
- यह ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
- खर्चीले प्रत्यक्ष विनियमों को लागू करने की तुलना में इसे लागू करना बहुत आसान है।
कुछ मौजूदा तंत्र
- परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT): यह एक बाजार आधारित तंत्र है। यह अधिक ऊर्जा खपत वाले उद्योगों में ऊर्जा के उपभोग को कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर बल देता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण–पत्र (Renewable Energy Certificate: REC): यह एक अन्य बाजार आधारित तंत्र है। यह राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता और नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व (Renewable Purchase obligation: RPO) को पूरा करने के लिए बाध्य संस्थाओं की आवश्यकता में मौजूद असंतुलन को दूर करता है।
स्रोत –द हिन्दू