UNESCO ने गुजरात के धौलावीरा को वैश्विक धरोहर चुना

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UNESCO ने गुजरात के धौलावीरा को वैश्विक धरोहर चुना

UNESCO ने गुजरात के धौलावीरा को वैश्विक धरोहर चुना

हाल ही में गुजरात में धौलावीरा को UNSECO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।

महत्वपूर्ण बिन्दु:

  • रण ऑफ कच्छ के पास स्थित धौलावीरा को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खोजा था।
  • पद्मश्री आरएस बिष्ट की देखरेख में इसकी खोज हुई थी और स्थानीय लोग इसे कोटा दा टिंबा कहते हैं।
  • इस जगह को हड़प्पा सभ्यता से जोड़कर देखा जाता है। हड़प्पा सभ्यता 3000 BC से 1500 BC के बीच थी।
  • धौलावीरा को उसके कालखंड के भव्य शहरों में शामिल किया जाता है, जो ‘कच्छ के रण’ के मध्य स्थित द्वीप ‘खडीर’ में स्थित है।
  • UNSECO की वर्ल्ड हेरिटेज कमिटी के 44वें सेशन में धौलावीरा को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का टैग दिए जाने का फैसला लिया गया।
  • UNSECO के मुताबिक किसी ऐसी विरासत को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया जाता है, जो संस्कृति और प्राकृतिक महत्व की हो।

धौलावीरा के बारे में:

  • धौलावीरा भारत के गुजरात राज्य के कच्छ ज़िले की भचाउ तालुका में स्थित एक पुरातत्व स्थल है।
  • धौलावीरा में सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष और खण्डहर मिलते हैं और यह उस सभ्यता के सबसे बड़े ज्ञात नगरों में से एक था। भौगोलिक रूप से यह कच्छ के रण पर विस्तारित कच्छ मरुभूमि वन्य अभयारण्य के भीतर खादिरबेट द्वीप पर स्थित है।
  • यह नगर 47 हेक्टर (120 एकड़) के चतुर्भुजीय क्षेत्रफल पर फैला हुआ था। बस्ती से उत्तर में मनसर जलधारा और दक्षिण में मनहर जलधारा है, जो वर्ष के कुछ महीनों में ही बहती हैं। यहाँ पर आबादी लगभग 2650 ई. पू. में आरम्भ हुई और 2100 ई.पू. के बाद कम होने लगी।
  • नए अनुसंधान से संकेत मिलें हैं कि यहाँ अनुमान से भी पहले, 3500 ई.पू. से लोग बसना आरम्भ हो गए थे और फिर लगातार 1800 ई.पू. तक आबादी बनी रही।
  • धोलावीरा पांच हजार साल पहले विश्व के सबसे व्यस्त महानगर में गिना जाता था।

UNESCO के संदर्भ में:

  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है।
  • इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है।
  • संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन 16 नवम्बर, 1945 को हुआ था।
  • इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बने।

स्रोत: पीआईबी

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