संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) द्वारा ‘प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति’ नामक रेजोल्यूशन जारी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने “प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति : कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतर्राष्ट्रीय संधि की ओर” (End Plastic Pollution: Towards an internationally legally binding instrument) नामक एक ऐतिहासिक रेजोल्यूशन या संकल्प अपनाया है ।
विश्व के 175 देशों के प्रतिनिधियों ने नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5) में प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित एक रेजोल्यूशन का समर्थन किया है।
यह रेजोल्यूशन प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने और वर्ष 2024 तक कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता अपनाने से संबंधित है।
कानूनी रूप से बाध्यकारी इस समझौते के तहत, देशों से इस रेजोल्यूशन के उद्देश्यों में योगदान देने के लिए अपेक्षा की जाएगी। इसके तहत देशों को अपनी-अपनी राष्ट्रीय कार्य योजनाओं को विकसित. कार्यान्वित और अपडेट करना होगा।
इस रेजोल्यूशन या संकल्प के बारे में:
- यह पेरू, रवांडा और जापान द्वारा पेश किए गए तीन प्रारंभिक ड्राफ्ट रेजोल्यूशन पर आधारित है।
- यह प्लास्टिक के उत्पादन, डिजाइन और निपटान सहित उसके संपूर्ण जीवन चक्र से संबंधित है।
- इसके तहत एक अंतर-सरकारी वार्ता समिति (Intergovernmental Negotiating Committee) का गठन किया जाएगा। इस समिति को वर्ष 2024 के अंत तक कानूनी रूप से बाध्यकारी एक वैश्विक समझौते का ड्राफ्ट तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है। यह समिति अपना काम वर्ष 2022 में शुरू कर देगी।
प्लास्टिक प्रदूषण का फैलावः
- प्लास्टिक प्रदूषण वर्ष 1950 में 20 लाख टन के बराबर था। यह बढ़कर वर्ष 2017 में 84.8 करोड़ टन हो गया।
- इसके वर्ष 2040 तक दोगुना हो जाने का अनुमान है।
- वर्ष 2050 तक, प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और निपटान के चलते होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए स्वीकृत उत्सर्जन का 15% होगा।
- 800 से अधिक समुद्री और तटीय प्रजातियां प्लास्टिक प्रदूषण को निगलने, उसमें उलझ जाने और इससे जुड़े अन्य खतरों का सामना करती हैं।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के बारे में
- यह पर्यावरण के मामलों पर निर्णय लेने वाला विश्व का सर्वोच्च निकाय है।
- यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) है।
- इसकी बैठक दो वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। इसका उदेश्य वैश्विक पर्यावरण नीतियों के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित करना और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण से जुड़े कानून विकसित करना है।
- इसका गठन जून 2012 में किया गया था।
स्रोत –द हिन्दू