रणथंभौर टाइगर रिज़र्व और सरिस्का टाइगर रिज़र्व
हाल ही में एक बाघ को रणथंभौर टाइगर रिज़र्व से सरिस्का टाइगर रिज़र्व में स्थानांतरित किया गया है।
इस बाघ (T-113) के स्थान परिवर्तन (relocation) का उद्देश्य सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में वृद्धि करना है।
यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि सरिस्का के अधिकांश नर और मादा बाघ वृद्ध होते जा रहे हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से अनुमति लेने के बाद यह स्थान परिवर्तन किया गया है। NTCA, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत एक वैधानिक संस्था है। एक रिज़र्व से दूसरे रिज़र्व में बाघ/बाघों को भेजने को स्थान परिवर्तन (Relocation) कहा जाता है।
बाघों के बारे में:
- IUCN स्थितिः एंडेंजर्ड।
- बाघ ज्यादातर एकांत में रहना पसंद करते हैं। केवल शावकों का माता के साथ रहना अपवाद है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व और सरिस्का टाइगर रिजर्व के बारे में
रणथंभौर टाइगर रिजर्व
- यह अरावली पर्वत और विंध्य पठार के निकट स्थित है।
- यह दिन में विचरण करने वाले बाघों (diurnal tigers) के लिए जाना जाता है।
- यह दो तरफ से नदियों (चंबल नदी और बनास नदी) से घिरा हुआ है।
- यहां रणथंभौर किला, जोगी महल व राजबाग खंडहर सहित पदम तालाब, मलिक तालाब, राज बाग तालाब आदि जैसी झीलें मौजूद हैं।
- प्रमुख प्रजातियां: बाघ, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सांभर हिरण, चीतल, नीलगाय आदि।
सरिस्का टाइगर रिजर्व–
- यह रिज़र्व राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह अरावली श्रृंखला का हिस्सा है।
- यहां छठी शताब्दी में निर्मित नीलकंठ मंदिर मौजूद है। इसके अलावा,पांडुपोल हनुमान मंदिर व कंकवाड़ी किला भी यहां स्थित हैं।
- प्रमुख प्रजातियां: तेंदुआ, जंगली बिल्ली, करैकल, धारीदार लकड़बग्घा, सुनहरा सियार आदि।
स्रोत – द हिन्दू