उच्चतम न्यायालय द्वारा लाइव प्रसारण (ई–कोर्ट)
हाल ही में उच्चतम न्यायालय 27 सितंबर से संविधान पीठ की कार्यवाही का सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) करेगा।
- वर्ष 2021 में, उच्चतम न्यायालय की ई-समिति ने भारत में अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण और रिकॉर्डिंग के लिए आदर्श नियम जारी किए थे।
- वर्ष 2018 में स्वप्निल त्रिपाठी बनाम उच्चतम न्यायालय मामले में, शीर्ष न्यायालय ने निर्णय दिया था कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘न्याय तक पहुंच के अधिकार’ का हिस्सा है।
- वर्तमान में, छ: उच्च न्यायालय (गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश) अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण करते हैं।
- उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही का सीधा प्रसारण ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण का हिस्सा है। ई-कोर्ट परियोजना, न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की एक पहल है।
अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण के लाभ–
- खुली कार्यवाही के माध्यम से न्याय प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और लोक समीक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
- यह समावेशिता को बढ़ावा देगा और कानूनी क्षेत्र में अनुसंधान में सहायता करेगा।
- यह लोगों में कानूनी जागरूकता और न्यायिक सत्यनिष्ठा में उनका विश्वास बढ़ाएगा।
चुनौतियां और संबंधित मुद्दे–
- सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) अवसंरचना का अभाव है। जैसे- सीधे प्रसारण के लिए स्वयं के प्लेटफॉर्म की बजाय यूट्यूब का उपयोग किया जाता है।
- प्रशिक्षित लोगों की कमी है। इसके अलावा, भारत में डिजिटल विभाजन भी मौजूद है।
- पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डेटा की अधिक सुरक्षा तथा निजता को बनाये रखना आवश्यक होगा।
- मीडिया द्वारा मामले को सनसनीखेज बनाने का खतरा बना रहेगा।
- न्यायाधीशों पर जनता की राय का अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
संविधान पीठ के बारे में
- जब किसी महत्वपूर्ण कानूनी विवाद को हल करने या संविधान के प्रावधान की व्याख्या करने की आवश्यकता होती है, तब संविधान पीठ गठित की जाती है।
- संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत 5,7, 9 या इससे अधिक न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने का उपबंध किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू