सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सड़क सुरक्षा के लिए दिशा–निर्देश तैयार करने को कहा
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने भारत में सड़क सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति को सड़क सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देशों पर रूपरेखा तैयार करने का निर्देश दिया है । इस समिति के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे होंगे।
- यह समिति मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 136A के अनुसार राज्यों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए राज्य-विशेष दिशा-निर्देश बनाने का प्रयास करेगी ।
- पीठ ने यह भी स्वीकार किया कि तेज गति से वाहन चलाना भारतीय सड़कों पर घातक दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।
मोटर यान अधिनियम, 1988
- इस अधिनियम को मोटर यान अधिनियम, 1939 के स्थान पर लाया गया था। इसे 1 जुलाई, 1989 से लागू किया गया था।
- इसकी कई धाराओं में संशोधन किए गए हैं। हालिया संशोधन वर्ष 2022 में किए गए हैं। इन हालिया संशोधनों द्वारा तृतीय पक्ष बीमा (Third party insurance) और मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के गठन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं ।
- इस अधिनियम की धारा 136 ( 2 ) केंद्र के लिए “स्पीड कैमरा, क्लोज – सर्किट टेलीविजन कैमरा आदि सहित सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए नियम बनाना अनिवार्य करती है ।
- इस अधिनियम की धाराएं 215A और B राज्यों को इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करने और सलाहकारी निकाय के रूप में एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन का प्रावधान करती हैं।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में कुल मिलाकर 4, 12,432 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं ।
- इन दुर्घटनाओं से निपटने के लिए सड़क दुर्घटनाओं के लिए डैशबोर्ड, नकदी रहित उपचार की व्यवस्था, नेक व मददगार लोगों की पहचान और राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद की स्थापना जैसे कदम उठाए गए हैं।
स्रोत – द हिन्दू