उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति
- हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में हो रही देरी पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
- उच्चतम न्यायालय ने रेखांकित किया है कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में कॉलेजियम के पुनर्विचार वाले निर्णय को स्वीकार करने के लिए बाध्य है।
- इस संबंध में शीर्ष न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर विधि और न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।
- देश के 25 उच्च न्यायालयों (HCs) में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 1,108 है। हालांकि, 1 अक्टूबर, 2022 तक 772 न्यायाधीश ही कार्य कर रहे थे और 336 पद रिक्त थे।
कॉलेजियम प्रणाली के बारे में
- यह न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रणाली है। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) करते हैं और इसमें शीर्ष न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
- उच्च न्यायालय कॉलेजियम के अध्यक्ष संबंधित उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश होते हैं, जबकि दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश इसके सदस्य होते हैं।
- यह कॉलेजियम, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को अपनी सिफारिशें भेजता है।
- अंतिम निर्णय CJI की अध्यक्षता वाला कॉलेजियम और उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश लेते हैं।
- उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति केवल कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से ही की जाती है।
कॉलेजियम व्यवस्था से संबंधित विभिन्न वाद
- संविधान अनुच्छेद 124 और 217 के अनुसार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को न्यायपालिका के परामर्श के बाद राष्ट्रपति नियुक्त करेगा।
- प्रथम न्यायाधीश मामला (1981): उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि यहां परामर्श’ का अर्थ सहमति (Concurrence) नहीं है।
- इसका यह अर्थ हुआ कि राष्ट्रपति न्यायाधीशों के परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
- दूसरा न्यायाधीश मामला (1993): इस मामले में दिए गए निर्णय से कॉलेजियम प्रणाली की शुरुआत हुई। निर्णय में कहा गया कि “परामर्श का वास्तव में अर्थ “सहमति है।
- शीर्ष न्यायालय ने कहा कि नियुक्ति की सिफारिश CJI द्वारा अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों के परामर्श से की जानी चाहिए।
- तीसरा न्यायाधीश मामला (1998):उच्चतम न्यायालय ने अपने कॉलेजियम में न्यायाधीशों के संख्या को बढ़ाकर पांच कर दिया। इनमें CJI के अलावा उनके चार वरिष्ठतम सहयोगी शामिल हैं।
कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना
- कॉलेजियम द्वारा की गयी नियुक्तियों में स्पष्टता एवं पारदर्शिता की कमी होती है।
- भाई-भतीजावाद या व्यक्तिगत पहचान के आधार पर नियुक्ति की संभावना होती है।
- कॉलेजियम की प्रक्रिया कब तक पूरी होगी, इसकी भी कोई तय समय सीमा नहीं है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)
- कॉलेजियम प्रणाली की अपारदर्शी प्रकृति को समाप्त करने के लिए, सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) विधेयक, 2014 प्रस्तुत किया था।
- हालांकि, इसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिये खतरा है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अहर्ताएँ
- संविधान के अनुच्छेद 217(2) के अनुसार, कोई व्यक्ति, किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिये तभी पात्र होगा,
- यदि वह –भारत का नागरिक हो। भारत के राज्यक्षेत्र में न्यूनतम 10 वर्षों तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो अथवा किसी उच्च न्यायालय में लगातार न्यूनतम 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो।
स्रोत – द हिन्दू