सुंदरी नामक बाघिन को पुनः बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण्य में भेजा गया
हाल ही में सुंदरी नामक बाघिन को 28 महीनों के बाद सतकोसिया बाघ अभ्यारण्य से वापस मध्य प्रदेश लाया गया है .आपको ज्ञात हो कि सतकोशियाबाघ अभ्यारण्य के आसपास रहने वाली आबादी द्वारा इस बाघिन का बहुत समय से विरोध किया जा रहा था जिस वजह से इसको मध्यप्रदेश लाया गया है .
बाघ पुनर्वास परियोजनापृष्ठभूमि
वर्ष 2018 में भारत की पहली बाघ पुनर्वास परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के कान्हा बाघ अभ्यारण्य से एक नर बाघ (महावीर) तथा मध्य प्रदेश के ही बांधवगढ़ बाघ अभ्यारण्य से एक मादा बाघिन (सुंदरी) को ओड़िशा के सतकोसिया बाघ अभ्यारण्य में स्थानांतरित किया गया था जिसका उद्देश्य बाघों की आबादी में वृद्धि करना था।
बाघों के स्थानान्तरण परियोजना का मुख्य उद्देश्यबाघों की अधिक आबादी वाले क्षेत्रों से बाघों की संख्या में कमी करके बाघों की कम आबादी वाले क्षेत्रों में इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी करना है।
सतकोसिया बाघ अभ्यारण्य:
सतकोसिया टाइगर रिजर्व में ओडिशा के दो समीपवर्ती अभयारण्य शामिल हैं जिन्हें सतकोसिया गार्ज अभयारण्य और बैसीपल्ली अभयारण्य के नाम से जाना जाता है।
दोनों अभ्यारण्यों के कुल 963.87 वर्ग किमी.क्षेत्र को मिलाकर वर्ष 2007 में बाघ अभ्यारण्य घोषितकिया गया था।
इस क्षेत्र में नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती वन और नम प्रायद्वीपीय साल वन पाए जाते हैं।यहाँ बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, चौसिंघा, स्लॉथ बीयर, जंगली कुत्ता, स्थानिक और प्रवासी पक्षी की विभिन्न प्रजातियाँ तथा विभिन्न प्रकार के सरीसृप आदि पाए जाते हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस