क्रोमोस्फीयर में प्लाज्मा जेट की घटना हेतु उत्तरदायी कारक का पता चला
हाल ही में सूर्य के समस्त क्रोमोस्फीयर में प्लाज्मा जेट की घटना हेतु उत्तरदायी विज्ञान का पता लगाया गया ।
प्लाज्मा जेट सूर्य के वर्णमंडल या क्रोमोस्फीयर में लगभग समस्त क्षेत्र में मौजूद होते हैं। इन प्लाज्मा जेट में विद्युत आवेशित कण होते हैं। प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था होती है। ये जेट या स्पिक्यूल्स (spicules) एक पतली घास जैसी प्लाज्मा संरचनाओं के रूप में दिखाई देते है ।
ये सूर्य की सतह से बाहर की ओर लगातार उठते रहते हैं और गुरुत्वाकर्षण के कारण पुनः सतह की ओर आ जाते हैं। वैज्ञानिकों ने सूर्य पर “स्पिक्यूल्स” की उत्पत्ति की व्याख्या की है। इस व्याख्या हेतु वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रयोगशाला के प्रयोगों को एक समरूपता (analogy) के रूप में उपयोग किया था।
परीक्षणों के आधार पर वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं:
- सूर्य की दिखाई देने वाली सतह (प्रकाशमंडल या फोटोस्फीयर) के ठीक नीचे प्लाज्मा हमेशा संवहनीय स्थिति में रहता है।
- यह स्थिति गर्म-सघन कोर से उत्पन्न होने वाली नाभिकीय ऊर्जा के कारण होती है।
- संवहनीय संचलन लगभग आवधिक रूप से होता है। इन संचलन से उत्पन्न होने वाले प्रबल बल सूर्य के क्रोमोस्फीयर में प्लाज्मा पर तीव्रता से आघात करते हैं।
- निचली परतों से उठने वाले ये प्रबल आघात क्रोमोस्फीयर में मौजूद प्लाज्मा को अल्ट्रासोनिक गति से पतले स्तंभों या स्पिक्यूल्स के रूप में बाहर की ओर धकेलते हैं।
- इन स्पिक्यूल्स का आकार और गति अलग-अलग हो सकती है।
- हालांकि, सौर पवन में प्लाज्मा की आपूर्ति और सूर्य के वायुमंडल को 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने वाली प्रक्रियाएँ अभी भी ज्ञात नहीं हैं।
स्रोत –द हिन्दू