Question – राजकोषीय सुदृणीकरण हेतु सब्सिडी सुधारों की आवश्यकता है? तर्कों सहित पिछले दशक में भारत सरकार द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों पर टिप्पणी कीजिए। – 16 March 2022
Answer – सब्सिडी सरकार से किसी संस्था को धन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हस्तांतरण है। यह सामान्यतः नकद भुगतान, या लक्षित कर कटौती के रूप में होता है। इससे सब्सिडी वाले उत्पाद की मूल्य में गिरावट आती है।
भारत में तीन प्रमुख सब्सिडी हैं:
- खाद्य सब्सिडी,
- उर्वरक सब्सिडी, और
- पेट्रोलियम से जुड़े उत्पादों पर सब्सिडी।
(पेट्रोलियम से जुड़े उत्पादों पर सब्सिडी खत्म हो गई है और भोजन पर सब्सिडी बढ़ रही है।)
हाल ही में वित्त सचिव ने कहा कि जब देश महामारी से लड़ रहा है, तो इन दो प्रमुख सब्सिडी में बदलाव लाना कठिन विकल्प है। उन्होंने स्वीकार किया कि खाद्य सब्सिडी बनी रहेगी, और यह मुद्दा उर्वरक सब्सिडी के बारे में है।
सरकार उर्वरक सब्सिडी को कंपनियों के बजाय सीधे किसानों तक पहुंचाने के पक्ष में है। इस दिशा में सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना पर काम कर रही है।
सब्सिडी सुधारों की आवश्यकता क्यों है?
- 2022-23 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा 16,61,196 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, और यह देखा गया है कि बजट के बाद की गई कुछ घोषणाओं ने सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य पर अधिक दबाव डाला है।
- 1991 के संकट के दौरान राजकोषीय घाटा 8 प्रतिशत था जबकि वर्तमान स्थिति में इसे लगभग 6.9 प्रतिशत घोषित किया गया है। वित्तीय वर्ष के अंत के करीब पहुंचने पर यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है। तो यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे संबोधित किया जाना है।
सुधार की प्रकृति:
यदि सरकार सब्सिडी व्यवस्था में सुधार चाहती है, तो उसे खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर ध्यान केंद्रित करने के अतिरिक्त, सब्सिडी के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। क्योंकि अंततः यही मायने रखता है, कि सब्सिडी अपने उद्देश्य की पूर्ति कर रही है या नहीं।
जहां तक कृषि और ग्रामीण समुदायों का संबंध है, 1950 से आज तक वास्तविक मुद्दों को संबोधित के बजाय अर्थव्यवस्था को सब्सिडी के रूप में केवल बैसाखी प्रदान किया गया है।
स्वास्थ्य व्यय के मामले में, उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यय का लगभग 70 प्रतिशत जेब से खर्च होता है, जिसका अर्थ है कि गरीब बहुत अधिक खर्च कर रहे हैं, और उन्हें उचित देखभाल नहीं मिल रही है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें सुधार की आवश्यकता है।
भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण सब्सिडी सुधार निम्नलिखित हैं:
- जीवाश्म ईंधन सब्सिडी: डीजल पर सब्सिडी हटा दी गई है और एलपीजी सब्सिडी देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) में संक्रमण जारी है। एलपीजी सब्सिडी लगभग 165 मिलियन को दी जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में संपन्न व्यक्ति भी सम्मिलित हैं।
- भारत में दो व्यापक एलपीजी सब्सिडी प्रकार हैं: प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) नामक संयोजन सब्सिडी जो महिलाओं के बैंक खातों के लिए निर्देशित की जाती है, और खपत सब्सिडी जिसे पहल (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) कहा जाता है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्न की खरीद ने कीमतों को स्थिर करने, किसानों के कल्याण में सुधार और देश भर में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद किया है।
- ई-नाम (e-NAM) और भावांतर भुगतान योजना जैसे सुधार किसानों को कृषि वस्तुओं की कीमतों की निगरानी करने और गिरती कीमतों से निपटने में मदद करते हैं।
- भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत दो-तिहाई भारतीय, अति सब्सिडी वाले भोजन के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं। जबकि सरकार पर एफसीआई का भारी सब्सिडी बकाया है और एफसीआई परिचालन अक्षमताओं से ग्रस्त है।
चूंकि खाद्य सब्सिडी का तत्कालीन माध्यम अक्षम माना जाता है, इसलिए उचित विकल्पों के बारे में विचार की आवश्यकता है। हमरे पास निम्न दो विकल्प हैं:
सरकार, गरीब से गरीब व्यक्ति को वाउचर जारी कर सकती है, जिससे वे उस वाउचर के आधार पर भोजन क्रय कर सकें। यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं में शामिल खर्च को कम कर सकता है, जैसे – भारतीय खाद्य निगम, आदि। इससे सरकार को प्रत्येक व्यय के प्रबंधन के बजाय, केवल बफर स्टॉक बनाए रखने की चिंता करनी होगी।
एक अन्य विकल्प ब्राजील का महत्वपूर्ण अनुभव है, जिसने “सशर्त नकद हस्तांतरण योजना” लागू की है। यह सरकार के खर्च के साथ-साथ समग्र वित्तीय दबाव को कम करने में भी मदद करेगा।