UNFPA द्वारा स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2022 रिपोर्ट जारी

UNFPA द्वारा स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2022 रिपोर्ट जारी

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2022 रिपोर्ट जारी की हैं। यह रिपोर्ट ‘सीइंग द अनसीनः द केस फॉर एक्शन इन नेग्लेक्टेड क्राइसिस ऑफ अनइंटेडेंड प्रेगनेंसी’ शीर्षक से जारी की गई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • अनपेक्षित गर्भावस्था (Unintended Pregnancy) वाली महिलाओं में से लगभग 60 प्रतिशत गर्भपात करा लेती हैं। कुल गर्भपात में से 45 प्रतिशत असुरक्षित होते हैं। ऐसे गर्भपात 5-13 प्रतिशत तक की मातृ मृत्यु दर का कारण बनते हैं।
  • विकासशील देशों में 135 महिलाएँ 18 वर्ष की आयु से पहले ही बच्चे को जन्म दे देती हैं।
  • वर्ष 2015 और वर्ष 2019 के बीच, विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 121 मिलियन अनपेक्षित गर्भावस्था के मामले देखे गए थे। इनमें से प्रत्येक सात में से एक मामला भारत में दर्ज किया गया था।

अनपेक्षित गर्भावस्था में योगदान देने वाले प्रमुख कारक

  • लैंगिक और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल तथा जानकारी का अभाव।
  • महिलाओं द्वारा स्वयं के शरीर और प्रजनन पर नियंत्रण के मामलों में हानिकारक रीतियाँ व कलंक जैसी धारणाओं का होना।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में आलोचनात्मक रवैया या शर्मिंदगी महसूस करना।
  • गरीबी और आर्थिक विकास का रुक जाना।
  • लैंगिक असमानता।

UNFPA के बारे में;

  • यह वर्ष 1968 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी है। यह जनसंख्या तथा लैंगिक और प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का समर्थन करती है।
  • इसका अधिदेश संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) ने स्थापित किया है।
  • यह विभिन्न सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को सीधे प्राप्त करने के लिए सरकारों, भागीदारों और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ कार्य कर रहा है।

 इन लक्ष्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्वास्थ्य से संबंधित लक्ष्य-3
  • शिक्षा से संबंधित लक्ष्य-4
  • लैंगिक समानता से संबंधित लक्ष्य-5

अनपेक्षित गर्भावस्था क्या है?

अनपेक्षित गर्भावस्था वह स्थिति है, जिसमें कोई महिला या तो बच्चे की चाह नहीं होने या/और अधिक बच्चे की इच्छा नहीं रखने के बावजूद गर्भ धारण कर लेती है।

रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

  • स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक और लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाना चाहिए। सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।
  • लैंगिकता-आधारित हिंसा को समाप्त करने की जरूरत है।
  • महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए निवेश किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत द हिन्दू

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