संसद की स्थायी समिति द्वारा ई–कॉमर्स रिपोर्ट जारी
हाल ही में वाणिज्य पर संसद की स्थायी समिति ने ‘भारत में ई-कॉमर्स के संवर्धन और विनियमन’ पर रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट में ई-कॉमर्स मॉडल पर एक स्पष्ट परिभाषा की सिफारिश की गयी है। साथ भी, यह भी सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है कि मार्केटप्लेस, इन्वेंट्री (वस्तु सूची) आधारित मॉडल में शामिल न हों।
इन्वेंटरी मॉडलः यह ऐसी ई-कॉमर्स गतिविधि है, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की इन्वेंट्री का स्वामित्व एक ई-कॉमर्स संस्था के पास होता है तथा इसे सीधे उपभोक्ताओं को बेचा जाता है।
मार्केटप्लेस मॉडलः इस मॉडल में एक ई-कॉमर्स कंपनी डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। यह प्लेटफॉर्म खरीदार और विक्रेता के बीच एक सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाता है। जैसे- अमेज़न, फ्लिपकार्ट आदि।
समिति के अन्य प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशें
प्रमुख मद्दे:
- बाजार के एक बड़े हिस्से पर केवल कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्न्स का नियंत्रण देखा जा रहा है।
- ये प्लेटफॉर्स प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। साथ ही, प्रतिस्पर्धा-रोधी/ अनुचित प्रथाओं का सहारा ले रहे हैं, जैसे कि अधिक छूट देना, उपलब्ध डेटा का दुरुपयोग आदि।
प्रमुख चुनौतियां हैं:
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) का डिजिटल पहुंच से बाहर होना,
- बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन,
- डेटा उपयोग नीति का अभाव आदि।
प्रमुख सिफारिशें :
- ई-कॉमर्स कंपनियों का उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) में अनिवार्य पंजीकरण किया जाना चाहिए।
- ई-कॉमर्स को विनियमित करने के लिए एक व्यापक फ्रेमवर्क तैयार किया जाना चाहिए। इस फ्रेमवर्क को राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति में शामिल किया जाना चाहिए।
- नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सक्रिय कार्रवाई के लिए FDI नीति के तहत प्रवर्तन तंत्र को मजबूत बनाया जाना चाहिए।
- विनियामक कमियों को दूर करने के लिए डिजिटल मार्केट अनुभाग बनाया जा सकता है।
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को पारित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत डेटा के विनियमन के लिए एक अलग फ्रेमवर्क बनाया जाना चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू