संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्पॉट लाइट पहल की प्रभाव रिपोर्ट जारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने स्पॉटलाइट पहल की प्रभाव रिपोर्ट जारी की है।
स्पॉटलाइट पहल की प्रभाव रिपोर्ट ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मामलों में तीव्र वृद्धि को रेखांकित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार यह कोविड-19 महामारी के दौरान एक शैडो महामारी बन गई है। स्पॉटलाइट पहल महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के लिए विश्व का सबसे बड़ा लक्षित प्रयास है।
भारत में भी, महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के अनुसार, पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में वर्ष 2021 के प्रथम आठ महीनों में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की शिकायतों में 46% की वृद्धि हुई थी।
महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने के लिए आरंभ की गई पहले
- केंद्र सरकार ने घरेलू हिंसा आश्रय और सहायता सेवाओं को “आवश्यक के रूप में वर्गीकृत किया है।
- महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान, भारत में 700 वन-स्टॉप-क्राइसिस केंद्र खुले रहे थे।
- स्त्री मुक्ति संगठन जैसे गैर-सरकारी संगठन, निशुल्क परामर्श के माध्यम से महिलाओं की मदद कर रहे हैं। साथ ही,अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए ऑनलाइन सुविधा का भी उपयोग कर रहे हैं।
- स्मार्ट पुलिसिंग और सुरक्षा प्रबंधन में सहायता के लिए सेफ सिटी परियोजनाएं आरंभ की गई हैं।
- गृह मंत्रालय ने ‘लैंगिक अपराधियों पर राष्ट्रीय डेटाबेस’ (National Database on Sexual Offender: NDSO) लॉन्च किया है।
अन्य संबंधित तथ्य
- यूनेस्को (UNESCO) ने ‘वेन स्कूल्स शटःजेंडर्रड इम्पक्ट्स ऑफ कोविड-19 स्कूल क्लोज़र्स’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से लैंगिक समानता के समक्ष खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- घरेलू कार्यों में वृद्धि के कारण लड़कियों के सीखने का समय बाधित होता है।
- लैंगिक मानदंड और अपेक्षाएं (जैसे इंटरनेट-सक्षम उपकरणों तक सीमित पहुंच) लड़कियों की दूरस्थ शिक्षा में भाग लेने तथा इस से लाभ उठाने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
स्रोत –द हिन्दू