आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक 2020 (महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों हेतु निर्दिष्ट विशेष न्यायालय)

आंध्र प्रदेश दिशा (महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों हेतु निर्दिष्ट विशेष न्यायालय) विधेयक, 2020, Disha  (Special Courts for Specified Offences against Women and Children) Bill,2020)

  • केंद्र सरकार ने लोकसभा को सूचित करते हुए कहा है, कि आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक, 2020 पर एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श शुरू किया जा चुका है।
  • यह विधेयक,बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के लिए महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराधों हेतु निर्दिष्ट विशेष न्यायालय से सम्बद्ध है और इससे अपराधी को मौत की सजा दिए जाने का मार्ग प्रशस्त होगा ।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं:

  • विधेयक में, पर्याप्त निर्णायक साक्ष्य उपलब्ध होने के मामलों में सात दिनों के अंदर जांच पूरी करने तथा 14 कार्य दिवसों में सुनवाई करने की परिकल्पना की गयी है। इसके साथ ही फैसले के लिए निर्धारित कुल समय को मौजूदा चार महीनों से घटाकर 21 दिन करने का प्रावधान किया गया है।
  • इस बिल में बच्चों के खिलाफ अन्य यौन अपराधों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है, औरइसके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) मेंधारा 354 F और 354 G जोड़ी गईं है।
  • महिलाओं को सोशल अथवा डिजिटल मीडिया के द्वारा उत्पीडित करने संबंधी मामलों में, दोषी को पहले अपराध पर दो साल का कारावास तथा अगले इस प्रकार के अपराध के लिए चार साल के कारावास का प्रावधान किया गया है तथा इसके लिए, भारतीय दंड संहिता, 1860 में एक नई धारा 354 E जोड़ी जाएगी।
  • विधेयक मे कहा गया है कि, आंध्र प्रदेश सरकार, ‘महिला और बाल अपराधी रजिस्ट्री‘ के नाम से एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर तैयार करेगी। यह रजिस्ट्री सार्वजनिक की जायेगी एवं कानून प्रवर्तन (law enforcement) एजेंसियों के लिए उपलब्ध होगी।
  • सरकार, इन मामलों में शीघ्र सुनवाई के लिएप्रत्येक जिले में विशेष अदालतेंगठित करेगी। इस प्रकार की अदालतें विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार, एसिड हमले, पीछा करने, हिंसा, महिलाओं का सोशल मीडिया उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और पोस्को (POCSO) अधिनियम के अंतर्गत सभी मामलों सहित अपराधों का निपटारा करेंगी।
  • महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों की जांच के लिएजिला स्तर पर विशेष पुलिस दलका गठन किया जाएगा, इस दल का नेतृत्व डीएसपी रैंक का अधिकारी करेगा।
  • प्रत्येक विशेष अदालत के लिए एकविशेष सरकारी वकीलभी नियुक्त होगा ।

क्या है पोस्को (pocso) कानून

  • प्रोटेक्सन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफ्फेंसस एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act)का संक्षिप्त नाम पोस्को (POCSO) है।
  • POCSO अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिये14 नवंबर 2012 को लागू किया गया था।
  • इस अधिनियम में ‘बालक’ को 18 वर्ष से कम आयु के व्‍यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और यह बच्‍चे का शारीरिक, भावनात्‍मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिये हर चरण को ज़्यादा महत्त्व देते हुए बच्चो के श्रेष्‍ठ हितों और कल्‍याण का सम्‍मान करता है।

यह अधिनियम  लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) रहित या लिंग तटस्थ है, अर्थात, यह स्वीकार करता है कि अपराध और अपराधियों के शिकार पुरुष, महिला या तीसरे लिंग हो सकते हैं।

स्रोत – द हिन्दू

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