अंतरिक्ष मलबे (Space Junk) ने चंद्रमा पर एक बड़े क्रेटर का निर्माण किया
खगोलविदों के अनुसार अंतरिक्ष मलबे (Space Junk) ने चंद्रमा पर एक बड़े क्रेटर का निर्माण किया है । यह अंतरिक्ष मलबे का अनजाने में चंद्रमा से टकराने का पहला मामला है। इसके कारण चन्द्रमा पर एक विशाल क्रेटर यानी गड्ढा (लगभग 65 फीट चौड़ा) निर्मित हो गया है।
यह अंतरिक्ष मलबा चीन द्वारा प्रक्षेपित चांगई 5-टी 1(Chang’e 5-T1) का था । यह चीन का एक चंद्र मिशन है।
चंद्रमा पर निर्मित होने वाले क्रेटर पृथ्वी की तुलना में अधिक स्थायी प्रकृति के होते हैं, क्योंकिः
- चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है। इसके कारण चंद्रमा पर किसी भी प्रकार की पवन प्रणाली भी मौजूद नहीं होती है। इसलिए, यहाँ मौजूदा क्रेटर्स के क्षरण (erosion) का कोई कारण मौजूद नहीं होता है।
- चंद्रमा पर विवर्तनिक गतिविधियां नहीं होती हैं। इसलिए चंद्रमा की सतह पर न तो नई चट्टानों का निर्माण होता है, न ही मौजूदा सतह के पैटर्न में कोई बदलाव होता है।
- चंद्रमा पर ज्वालामुखी गतिविधियों की अनुपस्थिति के कारण क्रेटर का मलबे से भरना असंभव हो जाता है।
अंतरिक्ष मलबे को अंतरिक्ष कबाड़ भी कहा जाता है। ये बेकार हो चुके उपग्रह, रॉकेट या उनके टुकड़े होते हैं, जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। इनका आकार रॉकेट के अलग होने वाले चरणों से उत्पन्न मलबे जितना बड़ा हो सकता है या कुछ मिलीमीटर के बराबर भी हो सकता है।
अंतरिक्ष मलबे निम्न भू-कक्षा (low Earth orbit) में 25,265 कि.मी. प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।
अंतरिक्ष मलबे से जुड़े जोखिमः
- अंतरिक्ष यात्री के सूट/उपकरण इस खतरे से निपटने में सक्षम नहीं होते हैं।
- पृथ्वी में पुनः प्रवेश करने वाले मलबे से जन-जीवन को खतरा हो सकता है।
- ये अंतरिक्ष परियोजनाओं के परिचालन की लागत में वृद्धि कर सकते हैं।
केसलर सिंड्रोम
- यह एक ऐसी परिघटना हैं, जिसमें पृथ्वी की कक्षा में मलबों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि उनके टकराव का विनाशकारी चक्र आरंभ हो जाता है। इसके तहत प्रत्येक टकराव से निर्मित अंतरिक्ष मलबे से आगे टकराव की संभावना बढ़ती जाती है।
- इसके कारण पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष मलबे की सघनता बढ़ती जाती है। यह स्थिति उपग्रहों, अंतरिक्ष यात्रियों और मिशन योजनाकारों के समक्ष एक बड़ी समस्या उत्पन्न करती है।
स्रोत –द हिन्दू