गांवों को ठोस व तरल अपशिष्ट के प्रबंधन
एक संसदीय समिति के अनुसार, इस वर्ष एक चौथाई से भी कम लक्षित गांवों को ठोस व तरल अपशिष्ट के प्रबंधन या निस्तारण हेतु बुनियादी ढांचा प्राप्त होगा ।
संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों पर एक नज़रः
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत लक्ष्यों की निराशाजनक उपलब्धिः इस रिपोर्ट के अनुसार, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) के लिए बुनियादी ढांचे का कार्यान्वयन, देश में पिछड़ गया है। उल्लेखनीय है कि इसे स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण के तहत कार्यान्वयित किया जाना था।
- अब तक केवल 22% लक्षित गाँवों को ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा 12% लक्षित गाँवों को तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत कवर किया जा सका है।
- जल जीवन मिशन के तहत आवंटित निधि के कम उपयोग के कारण समिति ने सरकार की आलोचना की है। इस मिशन के लिए कुल 50,011 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके विपरीत अब तक किया गया वास्तविक व्यय केवल 28,238 करोड़ रुपये है।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य
- वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल द्वारा पेयजल की आपूर्ति करना है।
- ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) से आशय वैज्ञानिक तरीके से अपशिष्ट पदार्थों के संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण, पुनर्चक्रण, उपचार और निपटान से है।
- SLWM, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के प्रमुख घटकों में से एक है। “स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण को ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई, सैनिटेशन और जीवन की सामान्य गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
- ग्राम पंचायतों के पदाधिकारियों को संबंधित राज्य सरकारों के समर्थन से SLWM व्यवस्था के डिजाइन, कार्यान्वयन, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।।
स्रोत -द हिन्दू