भारत ‘सौर विद्युत ऊर्जा लक्ष्य’ प्राप्ति में पीछे
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट (GW) की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पायेगा ।
अप्रैल 2022 तक 100 गीगावाट लक्ष्य के केवल 50% लक्ष्य को पूरा किया गया है। कुल 100 GW के लक्ष्य में 60 GW यूटिलिटी-स्केल और 40 GW रूफटॉप सौर क्षमता शामिल हैं।
भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र
- वर्ष 2011 से, भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 59% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ोतरी हुई है। भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता वर्ष 2011 की 5 से बढ़कर वर्ष 2021 में 55 GW हो गयी थी।
- भारत वर्तमान में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता के मामले में विश्व में पांचवें स्थान पर है।
लक्ष्य प्राप्ति में विफलता के कारण:
- कोविड महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित रही है।
- नेट-मीटरिंग (यानी ग्रिड को अधिशेष बिजली वापस देने वाले उपयोगकर्ताओं को बदले में भुगतान करना) की अपनी सीमाएं हैं।
- आयातित सेल और मॉड्यूल पर कर भी एक बड़ी समस्या रही है।
प्रमुख सिफारिशें:
- नेट मीटरिंग और बैंकिंग सुविधाओं के लिए विनियम सुसंगत होना चाहिए। साथ ही, इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए।
- राज्यों द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व {renewable purchase obligation: (RPO)] को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
- बैटरी ऊर्जा मंडारण प्रणालियों (BESS) के लिए पूंजीगत सब्सिडी दी जानी चाहिए।
- भारत सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM)/ राष्ट्रीय सौर मिशन (वर्ष 2010 में लॉन्च) आरंम किया है।
- इसके तहत वर्ष 2022 तक 100 GW और वर्ष 2030 तक 300 GW की कुल सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
स्रोत – द हिंदू