प्राकृतिक गैस की कीमतों में वैश्विक स्तर पर वृद्धि
वर्तमान वैश्विक ऊर्जा संकट के बीच, यूरोप और एशिया में प्राकृतिक गैस की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।
मूल्य वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारक: ऊर्जा की मांग में पुनः वृद्धि, व्यवसायों का कोविड पूर्व स्तर पर लौटना, समग्र प्राकृतिक गैस उत्पादन में गिरावट के कारण आपूर्ति संबंधी बाधाएं मुख्य उत्पादकों (रूस सहित) आदि द्वारा सीमित निर्यात के कारण भू-राजनीतिक संदेह की स्थिति का उत्पन्न होना।
नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों के निर्माण, परिवहन आदि में इसके उपयोग के कारण भारत भी प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भर है। ज्ञातव्य है कि भारत में लगभग 37 प्रतिशत प्राकृतिक गैस का आयात किया जाता है। इसलिए, वर्तमान स्थिति से भारत भी प्रभावित हो सकता है।
प्राकृतिक गैस एक गैर-नवीकरणीय हाइड्रोकार्बन गैस है। इसमें अन्य गैसों, जैसे कि ईथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन के मिश्रण के साथ ही मुख्य रूप से मीथेन (CH4) विद्यमान होती है। प्राकृतिक गैस लाखों वर्षों से अवसादी शैलों की परतों में दबे पादप और जंतु अवशेषों के अपघटन से कार्बनिक रूप में निर्मित होती है।
प्राकृतिक गैस के लाभ:
- यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और वर्तमान में खपत के स्तर के आधार पर यह लगभग 230 वर्षों तक उपलब्ध रह सकती है।
- इसके द्वारा कोयले के दहन से उत्पन्न CO2 का लगभग आधा भाग और वायु प्रदूषकों का केवल दसवां हिस्सा उत्सर्जित किया जाता है।
- प्राकृतिक गैस का अन्य अनुप्रयोगों में भी उपयोग बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के लिए डीजल की तुलना में निम्न उत्सर्जनकारी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का उपयोग।
भारत में प्राकृतिक गैस के भंडारः
26 अंतर्देशीय और अपतटीय अवसादी घाटियों सहित, वर्ष 2020 में भारत का प्राकृतिक गैस भंडार 47.31 ट्रिलियन क्यूबिक फीट था।
स्रोत –द हिन्दू