गैंडों के सींगों की तस्करी
- हाल ही में वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के पक्षकारों के सम्मेलन में ‘राइनो हॉर्न ट्रैफिकिंग’ रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
- इसी रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चला है कि गैंडों के सींगों की बिना कानून के डर के तस्करी की जा रही है।
रिपोर्ट के अन्य प्रमुख निष्कर्ष
- गैंडों के सींगों की सबसे ज्यादा तस्करी छह देशों (दक्षिण अफ्रीका, मोजाम्बिक, मलेशिया, हांगकांग, वियतनाम और चीन ) में की जाती है।
- ऑनलाइन व्यापार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप गैरकानूनी व्यापार के लिए सबसे महत्वपूर्ण माध्यम बन गए हैं।
पक्षकारों को निर्देश
- CITES के पक्षकारों को गेंडे की आबादी वाले देशों को सींगों की जब्ती की समय पर रिपोर्टिंग करनी चाहिए और डी. एन. ए. के नमूने साझा करने चाहिए ।
- साथ ही, पक्षकारों द्वारा गैंडों के गैर-कानूनी शिकार से जुड़े ट्रेंड की लगातार समीक्षा करनी चाहिए।
- जिन क्षेत्रों में गैंडे के सींगों के गैर-कानूनी बाजार मौजूद हैं, वहां इसकी मांग में कमी से संबंधित कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए।
गैंडों के बारे में
- संपूर्ण विश्व में गैंडों की 5 प्रजातियां हैं: सफेद गैंडा, काला गैंडा, सुमात्राई गैंडा, विशाल एक – सींग वाला गैंडा और जावा गैंडा ।
- सुमात्राई, जावा और काले गैंडों को IUCN की लाल सूची में क्रिटिकली एंडेंजर्ड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- सफेद गैंडा ‘नियर थ्रेटन्ड’ है और विशाल एक सींग वाला गैंडा ‘वल्नरेबल’ है ।
- गैंडे का सींग केरटिन नामक प्रोटीन से बना होता है। इसी प्रोटीन के कारण हमारे बाल और नाखून बढ़ते हैं।
पर्यावासः ये उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय घास के मैदान, सवाना व झाड़ीदार वन, उष्णकटिबंधीय आर्द्र वन, मरुस्थल तथा झाड़ियों वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं ।
- विशाल एक सींग वाले गैंडों की कुल आबादी का लगभग 75% अब भारत के केवल तीन राज्यों (असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में मौजूद है।
भारत में गैंडों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमः
- इंडियन राइनो मिशन 2020 शुरू किया गया है,
- संरक्षण में स्थानीय लोगों को शामिल किया जा रहा है,
- गैंडों की आवाजाही वाले भू गलियारों का पुनर्स्थापन किया जा रहा है,
- गैंडों पर नजर रखी जा रही है तथा इनकी गणना भी की जा रही है,
- गैर-कानूनी व्यापार से निपटने हेतु प्रकृति के लिए विश्व वन्यजीव कोष (WWF) और ट्रैफिक (TRAFFIC) जैसे संगठनों की मदद ली जा रही है।
CITES (जंगली जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन):
- यह लुप्तप्राय पौधों और जानवरों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के खतरों से बचाने के लिए एक बहुपक्षीय संधि है।
- वर्ष 1963 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के सदस्यों देशों की बैठक में अपनाए गए एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप CITES का मसौदा तैयार किया गया था।
- CITES जुलाई 1975 में लागू हुआ था। वर्तमान में CITES के 183 पक्षकार देश हैं ( इसमें देश अथवा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन दोनों शामिल हैं)।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्य जीवों एवं वनस्पतियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण उनका अस्तित्त्व पर संकट न हो।
- CITES का सचिवालय संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा प्रशासित किया जाता है जो यह जिनेवा स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- यह कन्वेंशन (CITES) की क्रियाविधि में एक समन्वयक, सलाहकार एवं सेवा प्रदाता की भूमिका निभाता है।
स्रोत – द हिन्दू