स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) का सफलतापूर्वक स्थलीय परीक्षण
हाल ही में इसरो ने स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के लिए ठोस बूस्टर चरण का सफलतापूर्वक स्थलीय परीक्षण किया है ।
यह परीक्षण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) में किया गया।
ठोस बूस्टर चरण (solid booster stage) के इस सफल परीक्षण ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान की पहली विकासात्मक उड़ान (SSLV-D1) आरंभ करने का आत्मविश्वास दिया है।
इसरो आमतौर पर दो सफल विकासात्मक उड़ानों के बाद किसी प्रक्षेपण यान को प्रक्षेपण के लिए तैयार यान घोषित करता है।
लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान या SSLV के बारे में:
- इसके सभी तीन चरणों में ठोस बूस्टर का उपयोग किया गया है। यह 500 किलोग्राम के उपग्रह को 500 कि.मी. की ऊंचाई पर निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit: LEO) में स्थापित कर सकता है।
- इसका उद्देश्य छोटे उपग्रहों को LEO में स्थापित करने की बाजार में बढ़ती मांग को पूरा करना है।
- यह इसरो का 110 टन द्रव्यमान वाला सबसे छोटा प्रक्षेपण यान है।
SSLV के लाभ:
- इसका टर्नअराउंड टाइम कम है, अर्थात् इसे असेम्बल (एकीकृत) करने में केवल 72 घंटे लगते हैं, जबकि अन्य यानों को असेम्बल करने में अभी 70 दिनों का समय लगता है।
- यह एक लागत-प्रभावी यान है। इसकी लागत केवल 30 करोड़ रुपये के आसपास होगी।
- इसके लिए कम बुनियादी ढांचे और कम लोगों की आवश्यकता होती है। इसे सात दिनों के भीतर छह विशेषज्ञों वाली एक टीम द्वारा असेम्बल किया जा सकता है।
- PSLV और GSLV के विपरीत, SSLV को लंबवत और क्षैतिज, दोनों तरह से असेंबल किया जा सकता है।
- यह नैनो, माइक्रो और लघु उपग्रह जैसे उपग्रहों को प्रक्षेपितकरने के लिए उपयुक्त है।
- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है। यह ग्राहकों के उपग्रहों के लिए SSLV प्रक्षेपण से संबंधित एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करने हेतु उत्तरदायी एकमात्र नोडल एजेंसी है।
- इन सेवाओं में संविदात्मक, तकनीकी, प्रोग्रामेटिक, प्रक्षेपण-पूर्व, प्रक्षेपण के दौरान और प्रक्षेपण-पश्चात् गतिविधि से संबंधित सेवाएँ शामिल हैं।
स्रोत –द हिन्दू