जनजातीय समुदायों की रक्षा एवं स्वायत्तता के लिए संविधान की छठी अनुसूची

जनजातीय समुदायों की रक्षा एवं स्वायत्तता के लिए संविधान की छठी अनुसूची

  • 125 वां संविधान संशोधन विधेयक, 2019 वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने के लिए जनवरी 2019 में राज्यसभा में पेश किया गया था।
  • गृह मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया कि “वर्तमान में, असम की ‘छठी अनुसूची’ में पंचायत-प्रणाली को लागू करने का कोई प्रावधान नहीं है”।

संविधान की छठी अनुसूची:

  • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
  • छठी अनुसूची मूल रूप से अविभाजित असम के मुख्यतः आदिवासी क्षेत्रों (90% से अधिक आदिवासी आबादी) के लिए अभिप्रेत थी, जिसे भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत “बहिष्कृत क्षेत्रों” के रूप में वर्गीकृत किया गया था और यह राज्यपाल के सीधे नियंत्रण में था।
  • यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान करता है ताकि इन राज्यों में जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा की जा सके। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत प्रदान किया गया है।
  • इन स्वायत्त परिषदों को व्यापक दीवानी एवं आपराधिक न्यायिक शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं, जैसे ग्राम न्यायालय आदि की स्थापना कर सकते हैं। हालाँकि इन परिषदों का न्यायिक क्षेत्राधिकार संबंधित उच्च न्यायालय के न्यायिक क्षेत्राधिकार के अधीन होता है।
  • यह स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) के माध्यम से इन क्षेत्रों के प्रशासन में स्वायत्तता प्रदान करती है।
  • स्वायत्त जिला परिषदों को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत क्षेत्रों में कानून बनाने का अधिकार है, जो भूमि, जंगल, खेती, विरासत, आदिवासियों के स्वदेशी रीति-रिवाजों और परंपराओं आदि को कवर करते हैं, और भूमि राजस्व और कुछ अन्य करों को इकट्ठा करने से भी के सम्बन्धी होते हैं .
  • स्वायत्त जिला परिषद, शासन के तीनों अंगों के संबंध में विशिष्ट शक्तियों और जिम्मेदारियों वाले लघु रूप की तरह हैं।

स्वायत्त जिले और इसकी संरचना:

  • राज्यपाल को स्वायत्त जिलों को व्यवस्थित करने और फिर से संगठित करने का अधिकार है। इस प्रकार, वह क्षेत्रों को बढ़ा-घटा या नाम बदलने के साथ-साथ सीमाओं को परिभाषित कर सकता है।यदि एक स्वायत्त जिले में कई जनजातियां हैं, तो राज्यपाल जिले को कई स्वायत्त क्षेत्रों में विभाजित कर सकताहै ।
  • प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक जिला परिषद होता है, जिसमें 30 सदस्य होते हैं, जिनमें से चार राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं और शेष 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं और वे पांच साल के लिए पद संभालते हैं।
  • वर्तमानमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में10 स्वायत्त ज़िला परिषद मौजूद हैं।
  • असम:कार्बीआंगलोंग स्वायत्त परिषद,बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद और दीमा हसाओ स्वायत्त ज़िला परिषद।
  • मेघालय:गारो हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद, खासी हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद और जयंतियाहिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद
  • त्रिपुरा:त्रिपुराजनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद।
  • मिज़ोरम:लाई स्वायत्त ज़िला परिषद,चकमा स्वायत्त ज़िला परिषद औरमारा स्वायत्त ज़िला परिषद।

125 वां संविधान संशोधन विधेयक, 2019:

जनवरी 2019 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वायत्त परिषदों की वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों को बढ़ाने के लिए संशोधनों को मंजूरी दी तथा 125 वां संशोधन संशोधन विधेयक, 2019 को फरवरी 2019 में राज्य सभा में पेश किया, जो निर्वाचित ग्राम नगरपालिका परिषदों के लिए है,  विधेयक अभी भी सक्रिय है, उसका प्रस्ताव है कि राज्य चुनाव आयोग स्वायत्त परिषदों, ग्रामों और नगरपालिका परिषदों के चुनाव कराएगा।

स्त्रोत : द हिन्दू

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