श्री माधवाचार्य
हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने माधव नवमी के अवसर पर श्री माधवाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
श्री माधवाचार्य के बारे में:
- इनका जन्म दक्षिण भारत में उडुपी के निकट तुलुव क्षेत्र के वेलीग्राम नामक स्थान पर विजय दशमी के दिन हुआ था, इनके बचपन का नाम वासुदेव था।
- माधवाचार्य वेदों और पुराणों के युग के बाद भारतीय विचारों को प्रभावित वाले दार्शनिकों की त्रिमूर्ति (अन्य दो शंकराचार्य और रामानुजाचार्य) में से तीसरे थे।
- उन्होंने द्वैत या द्वैतवाद के दर्शन को प्रतिपादित किया था ।
- अच्युतप्रेक्ष (Achyutapreksha) ने ही उन्हें ‘माधव’ की उपाधि दी, इसके पश्चात वे इसी नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए।
साहित्यिक रचनाएँ:
- इन्होने तत्ववाद दर्शन की विस्तृत व्याख्या की है। ‘तत्ववाद’ को लोकप्रिय रूप से ‘द्वैत दर्शन’ के रूप में जाना जाता है।
- इन्होने गीता भाष्य, ब्रह्म सूत्र भाष्य, अनु भाष्य, कर्म निर्णय और विष्णु तत्त्व निर्णय आदि कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ लिखीं हैं।
‘द्वैत दर्शन’ के बारे में:
- द्वैत दर्शन का मूल सिद्धांत श्री शंकर के मायावाद का खंडन है। द्वैत दर्शन में इस बात पर जोर दिया गया है कि दुनिया केवल एक भ्रम मात्र नहीं है, बल्कि एक हकीकत है।
- आत्मा, अज्ञान के माध्यम से इस संसार से बंधी है। आत्मा के लिए इस बंधन से मुक्त होने का तरीका, श्री हरि की कृपा प्राप्त करना है।
- श्री हरि तक पहुंचने के लिए भक्ति करनी पड़ती है, इसके अलावा कोई और उपाय नहीं है।
- भक्ति का अभ्यास करने के लिए ध्यान की आवश्यकता होती है।
- ध्यान करने के लिए पवित्र ग्रंथों का अध्ययन करके मन को साफ करना और वैराग्य प्राप्त करना आवश्यक है।
स्रोत – द हिंदू