सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना (SSCP)
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ‘राम सेतु’ को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार द्वारा जवाब दाखिल करने में देरी पर सवाल उठाया है।
- राम सेतु को ‘आदम का पुल’ भी कहा जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पांबन द्वीप या रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच उथले समुद्र में चूना पत्थर की एक श्रृंखला है।
- सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना (SSCP) के क्रियान्वयन को देखते हुए राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग की गई है।
- इस परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में जहाजों की आवाजाही के लिए एक पोत परिवहन मार्ग के निर्माण की योजना बनाई गई है।
इसमें दो चैनल (मार्ग) प्रस्तावित हैं:
- पहला ‘आदम के पुल’ के आर-पार और दूसरा ‘पाक खाड़ी’ (Palk Bay) से होकर ।
- सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में इस परियोजना के काम पर रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार भी राम सेतु को नुकसान पहुंचाए बिना SSCP के लिए एक अन्य मार्ग तलाशने की इच्छुक है।
सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना का महत्व
- भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच नौवहन की दूरी को कम करेगी।
- भारतीय तट रक्षकों और नौसैनिक जहाजों के लिए नौवहन में सुधार करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।
सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना से जुड़ी चिंताएं
- यह बंगाल की खाड़ी और ‘पाक खाड़ी’ के अधिक उथले तथा अधिक शांत जल के बीच स्थित प्राकृतिक अवरोध को नष्ट कर देगी।
- नौवहन यातायात की वजह से तेल और समुद्री प्रदूषण इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करेगा ।
स्रोत – द हिन्दू