सेबी (SEBI) द्वारा एल्गो ट्रेडिंग को विनियमित करने का प्रयास
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा एल्गो ट्रेडिंग को विनियमित करने का प्रयास किया जा रहा है।
एल्गोरिदम ट्रेडिंग या एल्गोट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से की जाती है तथा कंप्यूटर के माध्यम से ही शेयरों की खरीद और बिक्री की जाती है।
इसके तहत, प्री-प्रोग्राम्ड कंप्यूटर रणनीतियाँ निर्धारित मापदंडों, निर्देशों या बाजार के पैटर्न और शर्तों के आधार पर ट्रेड्स का क्रय-विक्रय करती हैं।
भारतीय शेयर बाजारों में लगभग 50 प्रतिशत दैनिक ट्रेडिंग एल्गो ट्रेडिंग के एक उन्नत रूप के माध्यम से संपन्न होती हैं।
एल्गो-ट्रेडिंग के लाभः यह तीव्र गति पर उच्च मात्रा मेंऑर्डर दे सकता है, लेन-देन की लागत में कमी ला सकता है. अलग-अलग कीमत वाले शेयर्स की पहचान कर सकता है, व्यापक मूल्य परिवर्तन से बच सकता है, यह बिना किसी मानवीय त्रुटि के अत्यधिक सटीक है इत्यादि।
विनियमन की आवश्यकता
- भारत में एल्गो ट्रेडिंग वर्ष 2008 में शुरू हो गई थी। किंतु वर्ष 2015 में यह तथ्य उजागर हो चुका है था कि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने कुछ चयनित अल्गो ट्रेडर्स को ही प्राथमिक पहुँच प्रदान की थी।
- व्यवस्थित बाजार हेरफेर के लिए और खुदरा निवेशकों को उच्च रिटर्न की गारंटी देकर उन्हें लुभाने हेतु दुरुपयोग किया जा सकता है।
विनियमन के संबंध में चिंताएं
प्रस्तावित सेबी मानदंड लाग होने के बाद एल्गोटेडिंग की मात्रा में गिरावट की संभावना है. क्योंकि प्री-प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग रणनीतियों का अनुमोदन एक जटिल मामला हो सकता है।
स्रोत – द हिन्दू