तमिलनाडु में स्थापित होगा सी–वीड (समुद्री सिवार) पार्क
हाल ही में केंद्र सरकार तमिलनाडु में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) का दर्जा प्राप्त सी-वीड (समुद्री सिवार) पार्क स्थापित करेगी ।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री ने तमिलनाडु में देश का पहला सी-वीड पार्क (seaweed park) स्थापित करने की घोषणा की है। यह पार्क मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए स्थापित किया जायेगा।
इस पार्क की स्थापना ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ के तहत की जाएगी। विदित हो कि सरकार समुद्री सिवारों की व्यावसायिक खेती और इनके प्रसंस्करण के लिए एक सी-वीड मिशन संचालित कर रही है। इस मिशन को प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) ने शुरू किया है।
समुद्री सिवार
- समुद्री सिवार (Seaweed) बिना फूल वाले आदिम समुद्री शैवाल को कहा जाता है। इनमें जड़, तना और पत्तियां नहीं होते। ये समुद्री पारिस्थितिक-तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- ये लाल, हरे, भूरे और काले अलग-अलग रंगों के होते हैं। इनका आकार भी भिन्न-भिन्न होता है। ये जल के नीचे सूक्ष्म से लेकर बड़े समूहों के रूप में विस्तारित होते हैं।
- बड़े समुद्री सिवार जल के भीतर घने वनों का निर्माण करते हैं। इन्हें केल्प वन कहा जाता है। ये मछली, घोंघे और समुद्री अर्चिन जैसे जीवों के लिए जल के भीतर नर्सरी के रूप में कार्य करते हैं।
- ये अधिकांशतः अंतर्वारीय क्षेत्र (दक्षिणी मन्नार की खाड़ी), समुद्र के उथले और गहरे जल एवं ज्वारनदमुख (estuaries) तथा पश्चजल (backwaters) में पाए जाते हैं।
समुद्री सिवारों का महत्व:
- ये आयरन, जिंक, मैग्नीशियम, राइबोफ्लेविन, थायमिन, विटामिन A,B,C और Kआदि पोषक तत्वों के भंडार होते हैं।
- ये जैव-संकेतक के रूप में कार्य करते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में मदद करते हैं।
- ये जलवायु परिवर्तन की गति को भी धीमा करते हैं।
- इनका उर्वरक के रूप में भी उपयोग किया जाता है। ये मत्स्य उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक हैं। इन्हें समुद्र पुलिन (beach) के कटाव की समस्या से निपटने के लिए समुद्र पुलिन के टीलों के नीचे दबाया जा सकता है।
- टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन और पेंट तैयार करने में एक घटक के रूप में इनका उपयोग किया जाता है।
स्रोत – द हिंदू