जन्म और मृत्यु के स्वतः पंजीकरण की योजना
हाल ही में केंद्र सरकार नागरिक पंजीकरण प्रणाली (Civil Registration System: CRS) में सुधार करने की योजना बना रही है।
सुधार के तहत पंजीकरण में लगने वाले अधिक समय, दक्षता की कमी और एकरूपता के अभाव जैसी मौजूदा समस्याओं को दूर किया जा सकेगा।
इन समस्याओं की वजह से जन्म और मृत्यु पंजीकरण में देरी होती है। इसके अलावा, पंजीकरण का कवरेज भी कम होता है।
नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के बारे में
- यह जन्म, मृत्यु और मृतजन्म (गर्भ में ही शिशु की मृत्यु) को दर्ज करने की एक सतत, स्थायी व अनिवार्य प्रणाली है।
- जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में जन्म एवं मृत्यु के अनिवार्य पंजीकरण का प्रावधान किया गया है।
- मुख्य रजिस्ट्रार को वर्ष के दौरान पंजीकृत जन्म और मृत्यु पर एक सांख्यिकीय रिपोर्ट प्रकाशित करना अनिवार्य होता है।
- यह भारत में महत्वपूर्ण घटनाओं पर आंकड़ों के मुख्य स्रोतों में से एक है। अन्य स्रोतों में सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) और जनगणना शामिल हैं।
- इसे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से भी जोड़ा गया है।
- इस प्रकार CRS नियमित आधार पर जिला स्तर पर जन्म और मृत्यु दरों से संबंधित आंकड़े प्रदान करने का एकमात्र स्रोत है।
इसके निम्नलिखित कारण हैं:
- जनगणना एक दशक पर आयोजित की जाती है।
- सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) एक वार्षिक अभ्यास है।
- नागरिक पंजीकरण प्रणाली व्यक्ति को कानूनी पहचान प्रदान करती है। साथ ही, यह नागरिक को अधिकारों तक पहुंच प्रदान करती है, जिनमें सामाजिक लाभ आदि जैसे अधिकार शामिल हैं।
- भारत का महा रजिस्ट्रार (RGI) गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह पूरे देश में पंजीकरण गतिविधियों का समन्वय और एकीकरण करता है। हालांकि, इन गतिविधियों का क्रियान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।
स्रोत – द हिंदू