सुप्रीम कोर्ट में पांच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट में पांच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति

हाल ही में केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट में पांच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने 5 न्यायाधीशों की नियुक्ति को अधिसूचित किया है।

इन नियुक्तियों के साथ, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 32 हो गई है, जबकि स्वीकृत संख्या 34 है। स्वीकृत संख्या संविधान के अनुच्छेद 124 (1) के तहत संसद द्वारा बनाए गए कानून के माध्यम से निर्धारित की जाती है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद-124 (2) के तहत करता है।

ये नियुक्तियां प्रक्रिया ज्ञापन (Memorandum of Procedure) के आधार पर की जाती हैं।

प्रक्रिया ज्ञापन के तहत केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्री CJI द्वारा भेजी गई सिफारिशों पर विचार करता है ।

कॉलेजियम प्रणाली वह साधन है जिसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय और किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति या स्थानांतरण किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) करते हैं और इसमें शीर्ष न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं ।

हाईकोर्ट कॉलेजियम के अध्यक्ष संबंधित उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश होते हैं, जबकि दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश इसके सदस्य होते हैं।

यह कॉलेजियम, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को अपनी सिफारिशें भेजता है । कॉलेजियम प्रणाली थ्री जजेज केस के साथ विकसित हुई है ।

ये तीन मामले निम्नलिखित हैं:

  • फर्स्ट जजेज़ केस, 1981 या एस. पी. गुप्ता मामला: उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई सिफारिश को “ठोस कारणों के आधार पर अस्वीकार कर सकता है। इस तरह इस मामले में कार्यपालिका को अधिक अधिकार प्राप्त हुए।
  • सेकंड जजेज़ केस, 1993 {सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCARA) बनाम भारत संघ}: भारत के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरणों पर केवल दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करने की आवश्यकता है।
  • थर्ड जजेज़ केस, 1998: भारत के मुख्य न्यायाधीश को न्यायिक नियुक्तियों और स्थानांतरणों पर अपनी राय बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श करना चाहिए ।

स्रोत – द हिन्दू

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