SC ने कठोर PMLA के अंतर्गत ED की शक्तियों को बरकरार रखा
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में संशोधनों को सही ठहराया है ।
उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय PMLA में वर्ष 2019 में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है।
PMLA में निम्नलिखित संशोधन किये गए थे:
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सम्मन जारी करने, गिरफ्तारी करने और छापेमारी के लिए व्यापक शक्तियां दी गई हैं,
- निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी आरोपी पर डालते हुए जमानत प्रावधानों को कठोर बना दिया गया है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई प्रमुख टिप्पणियां –
- न्यायालय ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिग) की विस्तृत परिभाषा को सही ठहराया है। इसमें अपराध से अर्जित आय/संपत्ति के निपटान की प्रत्येक प्रक्रिया और गतिविधि को शामिल किया गया है। इस तरह यह केवल धन शोधन की अंतिम कार्रवाई से ही संबंधित नहीं है।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं, इसलिए उनके द्वारा दर्ज किए गए बयान अदालत में सबूत के रूप में काम कर सकते हैं। स्व-अभियोगात्मक (self-incriminatory) होने के आधार पर इन बयानों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (Enforcement Case Information Report: ECIR) की तुलना FIR से नहीं की जा सकती, क्योंकि यह ED का आंतरिक दस्तावेज है।
- इसे आरोपी के साथ साझा करने का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।
धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA) के बारे में
- यह अधिनियम वर्ष 2002 में पारित किया गया था। यह कानून धन शोधन के खतरों से निपटने के लिए वैश्विक संधियों/अभिसमयों के प्रति भारत की वैश्विक है प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए बनाया गया था।
- इन वैश्विक संधियों में वियना अभिसमय भी शामिल है। यह धन शोधन ड्रग्स और मादक पदार्थों के व्यापार तथा 05 इससे जुड़े संगठित अपराध से संबंधित हैं।
- प्रवर्तन निदेशालय राजस्व विभाग के तहत एक वित्तीय जांच एजेंसी है। यह PMLA को लागू करती है।
स्रोत –द हिन्दू