कोयला मंत्रालय द्वारा सतत विकास प्रकोष्ठ (SDC) की स्थापना

कोयला मंत्रालय द्वारा सतत विकास प्रकोष्ठ (SDC) की स्थापना

हाल ही में कोयला मंत्रालय में सतत विकास प्रकोष्ठ (Sustainable Development Cell: SDC) की स्थापना की गई है।

  • सतत विकास प्रकोष्ठ (SDC) की स्थापना खनन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए सलाह देने और कार्रवाई की योजना बनाने हेतु की गई है।
  • SDC, कोयला और लिग्नाइट क्षेत्र में पर्यावरणीय शमन के लिए भविष्य की नीतिगत रूपरेखा भी तैयार कर रहा है।
  • यह COP26 में प्रधान मंत्री द्वारा उल्लिखित “पंचामृत रणनीति” के तहत नए जलवायु लक्ष्यों पर हाल की घोषणा के अनुरूप है।

सतत विकास की प्राप्ति के प्रयासों में तीव्रता लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा उठाए गए अन्य कदमः

  • सभी कोयला कंपनियों द्वारा खनन की गई भूमि का व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से बायो-रिक्लेमेशन किया जा रहा है।
  • वृक्षारोपण के लिए (आगामी 5 वर्षों में) 12000 हेक्टेयर से अधिक भमि को कवर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • मेथनॉल/इथेनॉल, यूरिया या पेट्रोकेमिकल्स के उत्पादन के लिए सिनगैस उत्पादन हेतु भूतल कोयला गैसीकरण परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा।
  • सिनगैस, हाइड्रोजन (H2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कुछ कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का गैसीय मिश्रण है।
  • फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (FMC) पहल के तहत कोयले को कोल हैंडलिंग प्लांट से साइलो तक कन्वेय रबेल्ट के माध्यम से लाद (Loading) कर लाया जाता है। यह प्रक्रिया सड़क मार्ग के माध्यम से कोयले की आवाजाही को समाप्त करती है।
  • खनन और कोयला परिवहन उपकरण में डीजल5 की खपत को प्रतिस्थापित करने के लिए द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का उपयोग किया जा रहा है।

स्रोत –पीआईबी

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