सरोजिनी नायडू की मनाई गयी जयंती
प्रतिवर्ष 13 फ़रवरी को सरोजिनी नायडू Sarojini Naidu की जयंती मनाई जाती है।
मुख्य बिंदु:
- सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फ़रवरी, 1879 को हुआ था। इंग्लैंड में उन्होंने लंदन के ‘किंग्ज़ कॉलेज’ और ‘कैम्ब्रिज के गर्टन कॉलेज’ में शिक्षा ग्रहण की।
- वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सकीं, परंतु अंग्रेजी भाषा में काव्य सृजन में वे प्रतिभावान रहीं। उन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में कविता ‘द लेडी ऑफ लेक‘ लिखी थी।
- उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में गोल्डन थ्रैशोल्ड, द बर्ड ऑफ टाइम, द ब्रोकन विंग, नीलांबु, ट्रेवलर्स सांग, इत्यादि शामिल है। सरोजिनी नायडू Sarojini Naidu के कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
- एक महान कवयित्री की तरह सरोजिनी नायडू Sarojini Naidu एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थी। 1906 में सरोजनी नायडू ने कलकत्ता में एक ओजस्वी भाषण दिया जिससे गोपालकृष्ण गोखले बहुत प्रभावित हुए। गोखले ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही सरोजिनी नायडू की मुलाकात गांधी जी से सन् 1914 में लंदन में हुई।
- श्रीमती सरोजिनी नायडू Sarojini Naidu ने गोखले को “क्रियात्मक और परिश्रमी कार्यकर्ता और एक रहस्यवादी स्वप्नद्रष्टा” की संज्ञा दी थी।
- उन्हें वर्ष 1908 में उन्हें अंग्रेजों ने ‘कैसर–ए–हिन्द’के सम्मान से नवाजा था। जालियाँवाला बाग हत्याकांड से क्षुब्ध होकर उन्होंने 1908 में मिला ‘कैसर-ए-हिन्द’ सम्मान लौटा दिया था।
- सन् 1930 के प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह में सरोजिनी नायडू Sarojini Naidu गांधी जी के साथ चलने वाले स्वयंसेवकों में से एक थीं।
- भारत की आजादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया एवं राज्यपाल पद पर नियुक्ति पाने वाली प्रथम भारतीय महिला का गौरव भी उन्हें प्राप्त हुआ।
- भारत की सबसे पुरानी और महत्त्वपूर्ण नारी संस्था ‘अखिल भारतीय महिला परिषद’ (आल इंडिया विमेन्स कान्फ्रेंस) से सरोजिनी नायडू जुड़ गई।
- भारतीय इतिहास में इस महान नायिका को आगे आने वाली पीढ़ियों के द्वारा ‘भारत कोकिला‘, ‘राष्ट्रीय नेता‘ और ‘नारी मुक्ति आन्दोलन की समर्थक‘ के रूप में सदैव याद किया जाता रहेगा।
स्रोत – पीआईबी
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