रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के प्रभाव
हाल ही में रूस-यूक्रेन संकट के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाए हैं।
इन प्रतिबंधों के प्रभावः
- रूस पर प्रभावः इससे बैंक रन की स्थिति पैदा हो गई है। रूसी नागरिक बैंकों में रूबल के रूप में अपनी जमा राशि को निकालने और इसे सुरक्षित मुद्रा (जैसे- अमेरिकी डॉलर) में बदलने के लिए बैंकों में कतार लगाए हुए हैं।
- भारत पर प्रभावः भारत न तो नाटो का न ही यूरोपीय संघ का सदस्य है। इसलिए लगाए गए प्रतिबंध, भारत के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। हालांकि, भारत की पोटाश उर्वरक संबंधी आवश्यकता पूरी तरह से बेलारूस और रूस से आयात पर निर्भर है। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण पोटाश की उपलब्धता बाधित हो सकती है।
- विश्व पर प्रभावः चिप लिथोग्राफी में उपयोग किए जाने वाले नियॉन (neon) की वैश्विक आपूर्ति का लगभग 90% रूस और यूक्रेन से आता है। एयरोस्पेस और आयुध (armament) उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले टाइटेनियम की वैश्विक आपूर्ति का 30% हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता है।
हालिया घटनाक्रमों का संभावित भू–राजनीतिक प्रभावः
- पश्चिमी देश एकजुट होंगे और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) पुनः सक्रिय हो जाएगा।
- 1950 के दशक की शीत युद्ध जैसी स्थिति फिर से पैदा हो सकती है। इसमें एक तरफ रूस के नेतृत्व वाला ईस्टर्न ब्लॉक होगा, तो दूसरी तरफ पश्चिमी देश और उनके सहयोगी शामिल होंगे।
बैंक रन: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब व्यापक संख्या में जमाकर्ता, वित्तीय संस्थान के दिवालिया हो जाने की आशंका में एक-साथ बैंकों से अपना पैसा निकालने लगते हैं।
स्रोत –द हिंदू