सेलम साबूदाना को मिला भौगोलिक संकेतक का दर्जा (जीआई टैग)
हाल ही में सेलम स्टार्च और सागो मैन्युफैक्चरर्स सर्विस इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (जिसे लोकप्रिय रूप से सागोसर्व (SAGOSERVE) कहा जाता है), को हाल ही में सेलम साबूदाना के लिए भौगोलिक संकेतक टैग या जीआई टैग प्राप्त हुआ है।
सागोसर्व, 1981 में स्थापित, एक सहकारी समिति है जिसमें सेलम, नमक्कल, धर्मपुरी, इरोड, पेरम्बलुर, त्रिची, तिरुवन्नामलाई और विल्लुपुरम सहित विभिन्न जिलों के 374 सदस्य हैं। जीआई टैग के साथ सलेम साबूदाना की इस मान्यता से क्षेत्र में साबूदाना किसानों और व्यापारियों के लिए व्यापार के अवसरों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय साबूदाना उत्पादन में तमिलनाडु का महत्वपूर्ण योगदान है, जो कुल उत्पादन का 40% हिस्सा है। तमिलनाडु के अंतर्गत सलेम साबूदाना उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है।
साबूदाना कैसे प्राप्त होता है:
- साबूदाना का निर्माण टैपिओका जड़ों से कुचले गए गीले स्टार्च पाउडर से किया जाता है।
- टैपिओका एक प्रमुख बागवानी फसल है जिसकी खेती तमिलनाडु में लगभग 3 लाख हेक्टेयर में की जाती है, जिससे 60 लाख टन फसल का उत्पादन होता है।
- साबूदाना का उत्पादन सबसे पहले सेलम जिले में किया गया था, जो देश में कुटीर पैमाने पर साबूदाना उत्पादन का मुख्य केंद्र है।
- कच्चे टैपिओका (कसावा) से प्राप्त साबूदाना छोटे कठोर ग्लोब्यूल्स या मोती के रूप में होता है और सफेद रंग का होता है।
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication):
- भौगोलिक संकेतक शब्द को बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर विश्व व्यापार संगठन समझौते के अनुच्छेद 22 (1) के तहत परिभाषित किया गया है।
- भारत में कोई भी उत्पादक, चाहे वह व्यक्ति हो, लोगों का समूह हो, संगठन हो या कानूनी इकाई, जीआई टैग के लिए आवेदन कर सकता है।
- जीआई टैग मुख्य रूप से कृषि संबंधी, प्राकृतिक या विनिर्मित्त वस्तुओं के लिए प्रदान किया जाता है, जिनमें अनूठे गुण, ख्याति या इसके भौगोलिक उद्भव के कारण जुड़ी अन्य लक्षणगत विशेषताएं होती है।
- जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार(आईपीआर) होता है, जो आईपीआर के अन्य रूपों से भिन्न होता है, क्योंकि यह एक विशेष रूप से निर्धारित स्थान में समुदाय की विशिष्टता को दर्शाता है।
- वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है।
- जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा दिया जाता है।
- भारत में, जीआई टैग के पंजीकरण को ‘वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 द्वारा विनियमित किया जाता है। इसका पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है, तथा 10 वर्ष बाद पंजीकरण का फिर से नवीनीकरण कराया जा सकता है।
जीआई टैग के लाभ:
- यह भारत में भौगोलिक संकेतों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है तथा दूसरों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेतों के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
- यह भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित/निर्मित वस्तुओं के उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस